मेरे कुछ विचार

कोई व्यक्ति अच्छे य खराब नहीं होते अच्छा य खराब व्यक्ति का वक़्त होता है तिस पर प्रभु कृपा ही है जो की आपको “आश्रय-प्रश्रय-सहायता” आदि उपलब्ध कराती है इसलिये किसी अमुक व्यक्ति के पहले, ईश्वर से ही माँगना चहिये ईश्वर को ही धन्यवाद देना चाहिये, और हाँ निरादर अथवा क्षोभ तो किसी पर भी भी प्रगट ही नहीं करना है अंत में यह भी कहूंगा की किसी अन्य को परामर्श देना एक बात है अपनें आचरण में अंगीकार करना बहुत ही श्रमसाध्य है


आपने पेड़ नहीं लगाए हैं तो आपने जुर्म किया है और यदि आपने पेड़ लगाए हैं और वह पानी बिना सुख गए तो आपने हत्या के बराबर जुर्म किया है


ना सोचो ना याद करो ना मिलो ना बात करो लेकिन यह ना कहो कि उदास हो तुम

सोची-समझी दीर्घकालिक  रण नीति के अनुसार भारत में एक ऐसा अतिशय खर्चीला राजनीतिक ढांचा सांचा निर्मित किया जा रहा है जिससे मितव्यई और सादगी पसंद सदाचारी आदर्शवादी लोग मुख्य राजनीतिक धारा में आ ही ना सके

देश देश वासियों से है जो देश वासियों के सुख समृद्धि के बारे में नहीं सोचता उनके उन्नयन उत्थापन के लिए प्रयास नहीं करता वह केवल नाटकबाज है दिखावा करता है आम जनमानस को गुमराह करता है राष्ट्रप्रेम का देश प्रेम का भ्रम पैदा करके असली मुद्दों से आपको भटकाता है

जब आप एक आदर्शवादी को वोट देकर समर्थन करके दिखाते हैं तब आप व्यवस्था में सुधार करते हैं और जब आप गैर आदर्शवादी को समर्थन देते हैं वोट देकर जिताने हैं तब आप व्यवस्था को बाजार बना देते हैं याद रखिए बाजार हमेशा लाभ हानि की कसौटी पर चलते हैं सम्वेदनाओं मूल्य और सरोकारों से नहीं

आने वाले समय में इतिहास लिखेगा की भारत में सर्वाधिक भ्रष्ट और घोटाले और विसंगत वाली सरकार 2014 से 2019 तक रही जिसने पूरी पूरी व्यवस्था को बाजारीकरण करके व्यवसाइयों के हितों के लिए मूल्य सिद्धांतों की बलि दी देश के बुनियादी ढांचे को कमजोर बनाया देश और देशवासियों की कीमत पर बड़े मुनाफाखोरों और व्यवसाइयों को प्रश्रय दिया

इस बात को थोड़ा ध्यान से पूरी बारीकी से समस्या पार्टी में आपके स्थान को मेरे मन में मेरे मन में आप के सम्मान को कहीं कोई खतरा नहीं है मेरे द्वारा या मेरे रहते हुए पार्टी के द्वारा आप को नकारे जाने का कोई प्रश्न ही नहीं है बस इतना याद रखिए कुछ की कीमत पर आप महत्वपूर्ण है ऐसी जगह पर यही कहूंगा कि आप की कीमत पर कुछ और योग्य महत्वपूर्ण हैं सबका अपना अलग-अलग स्थान है सब एक हैं. और सभी महत्वपूर्ण हैं.

अभिव्यक्त को मात्र समूह के बल पर व्यक्त कर पाना आदर्श स्थिति नहीं है आदर्श स्थिति यह है कि व्यक्तिगत स्तर पर भी गलत का प्रतिकार करने का साहस हो कोई एक समूह पूरी की पूरी भीड़ यदि किसी गलत के साथ खड़ी है तो वह भी भयभीत होने की जरूरत नहीं है साहस के साथ खड़े होइए उस गलत के प्रतिकार में अपनी मुखर अभिव्यक्ति व्यक्त कीजिए.

वंचितों असहायों मजलूमों मजबूर भिखारियों पर हमेशा दया कीजिए वर्तमान जन्म के पूर्व में यह लोग शहर के बड़े लोग माने जाते थे.

जो व्यक्ति अपना बदला नहीं ले पाते प्रकृति उनका बदला ले लेती है

देश और प्रदेशों में सत्ता परिवर्तन हो जाता है लेकिन व्यवस्था परिवर्तन का सपना वही उसी जगह अधूरा पड़ा हुआ समय की बाट जोह रहा है जहां उसे महात्मा गांधी श्रंखला की अंतिम विभूति लोकनायक जयप्रकाश नारायण छोड़ कर गए थे.

मैं नहीं समझता कि आपको आपके पूर्वजों द्वारा किए गए कर्मों की सजा मिले मैं नहीं समझता कि आपको आपके पिता मां अथवा पिता के कर्मों की सजा मिले और ना ही मैं यह समझता हूं कि आपको अपने पुत्रों के कर्मों की सजा मिले बल्कि मैं एक ऐसी सहिष्णुता और उदारता का पोषक हूं कि यदि आप से कोई गलती हुई है तो पश्चाताप करने सुधार करने का मौका दिया जाना चाहिए

सामान्य उद्देश्यों सामान्य लक्षण की प्राप्ति के लिए सामान्य कर्म और सामान्य विश्वास ही पर्याप्त उपादान हैं परंतु महान उद्देश्य और वृहत्तर लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आत्मविश्वास अति विश्वास और अति आत्मविश्वास विश्वास की जरूरत होती है

प्रेम मेरा व्यक्तिगतस्वभाव है पूरी सृष्टि में परमात्मा की बनाई सभी वस्तुओं जीवो से मैं प्रेम करता हूं अनुपयोगी जीवो तथा मक्कार और अपराधियों पर भी मुझे प्रेम उत्पन्न हो जाता है कभी तो लगता है कि मैं अनायास ही गद्दारों और विश्वासघातियों से भी प्रेम करता हूं तब भला आपसे प्रेम क्यों ना करूंगा आपने तो कायनात की बेजोड़ खूबियां और अपार संभावनाएं हैं

मेरा इरादा साथ-साथ हो जाने का है एक – दो -पांच- हजार -दस हजार -और अनगिनत हो जाने का है ,आप के साथ चलने का इरादा है , आपको साथ मिलाने का इरादा है बस इतना समझ लीजिये कि मै लगातार लड़ रहा हूँ जो लोग भी मानव और मानवीय मूल्यों के खिलाफ हैं उन सब के खिलाफ लड़ रहा हूँ। 30 जनवरी 1948 को गोली लगने के बाद भी मेरी लड़ाई जारी है , और यकीन मानो जब-तक जुल्म ज्यादती है मै तब तक लड़ूंगा , बिना रुके लड़ूंगा , लगातार लड़ूंगा ,क़यामत तक लड़ूंगा ,मुझे हारने मत देना ,डटे रहना वही उसी जगह पर , जहाँ तुम्हे लगता है की तुम हार गए हो , और उन्हें लगता है की वे जीत गए हैं

पुलिस और सेना के बल पर चलायी जाने वाली व्यवस्था, में अन्तिम पायदान पर खड़े आदमी के लिये, कहीं कोई जगह नहीं है । कानून की पढ़ाई में, यह भी है, कि कानून सरल, मानने योग्य और सुविधा देने वाला होना चाहिए आज मजबूत आदमी के लिये कानून सरल और सुविधा देने वाला ही है, मानना या न मानना मजबूत आदमियों की मर्जी पर है, दूसरी तरफ मजबूर आदमी के लिये, कानून की कठिनता बताई जाती है, कानून को बाध्यकारी बताया जाता है उसी कानून के सहारे, मजबूर आदमी को, और मजबूर करके उसकी आजादी, उसका अपना आत्मसम्मान, आत्मगौरव छीन लिया जाता है ।


2011 की जनगणना के मुताबिक देशभर में करीब 23 लाख महिलाएं ऐसी हैं, जिनके न तो तलाक हुए हैं और न वे पति के साथ रहती हैं। ये अधर में लटकी हुई महिलाएं हैं। बिल्कुल कश्मीर की आधी विधवाओं की तरह। इन 23 लाख में करीब 20 लाख हिन्दू औरतें हैं, जिनमें से एक मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी का भी है।
जिस धर्म में तलाक की सुविधा नहीं वहां भी औरतों को नरक है, और जिस धर्म में एकतरफा तलाक है, वहां भी औरतों की ज़िंदगी जहन्नुम है… धर्म सर्कस है, जिसमें हंटर पुरुष के हाथ में है…

मेरे आदर्शवादी साथियों ! हम लोग पॉलिटिकल लोग हैं , इसमें एक कोर्स होता है कि अपनी बात कह दो बिना किसी प्रतिक्रिया पर ध्यान दिये , जिनके अंदर समझ होगी , अपने लोग होंगे वे साथ आ जायेंगे और जो दूसरी तरफ खड़े हैं (वे चाहे जितने अधिक अपनें हों – खास हों) उनसे , उनकी बातों से ,उनके उनके विरोध से क्या लेना – देना । कहनें का मतलब है केवल अपना पार्ट अदा कीजिये , तकरार करके न तो किसी का दिल दुखाइये , न आभाषी दुनिया के इस मँच पर सीख देने – बड़ा और जानकार बनने की कोशिश कीजिये , केल यार्बोरो नें बड़ी सुन्दर बात कही है – “किसी सूअर से कुश्ती मत करो, तुम दोनों गंदगी में लोटोगे पर इसमें मज़ा सिर्फ सूअर को ही आएगा। ~ केल यार्बोरो”

कभी – कभी बड़ी अप्रिय और विषादपूर्ण घड़ी होती है जीवन में । बस केवल यही कह कर समझाना पड़ता है अपने आपको कि समय का फेर है……….. राजनीतिक जीवन , व्यक्तिगत जीवन में बहुत बड़े बिखराव भी बिखेर देता है । कभी जिनके सहयोग और शुभाकांक्षा का बड़ा आलम्ब मिला , जिनके स्थायी सहयोग और सशक्त समर्थन के विस्वास में लेशमात्र संदेह नहीं था , उन्ही का त्यागपत्र मंजूर करना पड़ा । अलविदा ! यकीन मानो तुम भी मुझे भूल नहीं पाओगे बार-बार पछताओगे , बहुत ढूँढोगे , कइयों को आजमाओगे , मेरे जैसा नहीं पाओगे ।