View About AADHAR UID

आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी का यह सोचना है कि स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिकों के हाथ के पंजे के निशाँ, आँख के रेटिना अथवा किसी भी अंग – प्रत्यंग का , पहचान के नाम पर निशान लिया जाना अमानवीय है । स्वतंत्रता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर कुठाराघात है । यह निजता के अधिकार में हस्तक्षेप भी है । आज़ादी के आंदोलन की शुरुआत में सर्वप्रथम विरोध हाँथ के पंजे के छाप लेने के कारण ही महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हुआ था ।
जिन प्रश्नों को लेकर विरोध आज के सवा सौ साल पहले हुआ वे प्रश्न आज भी प्रासंगिक हैं। भारत में आधार कार्ड योजना मानवीय मूल्यों के खिलाफ है इस विषय पर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गयी टिप्पड़ियों के प्रकाश में आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार की आधार  योजना का पुरजोर विरोध करती है
परम आदरणीय जन यह जान लें कि वोटर आई डी कार्ड त्रिस्तरीय सत्यापन के बाद बनता है आपका नाम , आपके पिता जी का नाम , लगभग उम्र और आपके घर का सत्यापित पता उसके बाद आप उस मतदाता पहचान पत्र के माध्यम से , पंच , सरपंच , विधायक और लोकसभा सांसद तक चुनते हैं , जब इतना मजबूत दस्तावेज प्रयोग में है तब किसी और पहचान पत्र की क्या ज़रुरत है ।जिन्हे ज़रुरत होगी वे अंतर्राष्ट्रीय पहचान पत्र ” पासपोर्ट ” बनवा लेंगे ।  जनता के पैसे की बर्बादी रोकनी होगी । ये सरकारें गैर ज़रूरी कवायद के नाम पर एजेन्सियों को हज़ारों करोड़ रूपये दे रही हैं , और फिर चंदे और घूस के रूप में सैकड़ों करोड़ वापस ले रही हैं , इनके असली खेल को समझना होगा ।
जब – तक सड़कों पर नंगा विरोध नहीं होगा इनकी कुम्भकर्णी नींद नहीं टूटेगी , बाहर निकलो , आधार जलाओ ,विरोध जताओ ।
अगर वोटर आई डी कार्ड नकली बन जाते हैं तो आप व्यवस्था में सुधार कीजिये , अगर बुधई की सब्सिडी दबंग सिंह हज़म कर रहे हैं तो कानूनी कार्यवाही कीजिये , नेताओं का आवाम का नैतिक बल बढाइये जागृत कीजिये। लेकिन गलत के पक्ष मे कुतर्क मत कीजिये ।
आधार का निगरानी तंत्र
आधार के काम में नंदन निलेकनी के एक सहयोगी की कंपनी OnGrid की साईट पर उनकी तकनीक के प्रचार की फोटो है नीचे, जो दावा कर रही है भीड़ में फोटो के जरिये व्यक्ति की सब निजी जानकारी – नाम, उम्र, लिंग, पता, पुलिस रिकॉर्ड, आदि तुरंत हासिल करने का। क्या इस किस्म की तकनीक, जैसा कि बताया गया था, लोगों तक सब्सिडी का पैसा सही से पहुँचाने के लिए चाहिए? क्या यह स्पष्ट नहीं कि असल में यह सरकार ही नहीं, सरकार बनाने वाले कॉर्पोरेट्स के द्वारा नागरिकों की हर हरकत पर निगरानी रखने का तंत्र है जो हर किस्म की नागरिक स्वतंत्रता को ख़त्म कर देने के लिए ही खड़ा किया गया है।
यह बात भी याद रखने की है कि 1984 में दिल्ली और 2002 – गुजरात में वोटर लिस्ट का इस्तेमाल किया गया था क़त्ल, आग और लूट के लिए व्यक्तियों, मकानों और दुकानों की पहचान के लिए। अब कल्पना कीजिये कि सारे नागरिकों की पहचान और निजी जानकारियां इन तमाम कंपनियों के पास उपलब्ध है तो इसका कितना खतरनाक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके बाद तो ना किसी के केश-दाढ़ी देखने की जरूरत है, ना ही कच्छा खुलवा कर देखने की!
इस निगरानी तंत्र का पूरा ढाँचा कांग्रेस सरकार ने तैयार किया था और बीजेपी अब इसका बखूबी इस्तेमाल कर रही है। इससे फिर इस बात की पुष्टि होती है कि यद्यपि फासीवादी गिरोह का चेहरा हमेशा मोदी-शाह जैसे लफ़ंगे बनते हैं लेकिन इसकी बुनियाद डालने वाले ये मनमोहन सिंह, दीपक पारेख, मुकेश अम्बानी, रतन टाटा, निलेकनी, मोहनदास पै, राजीव चंद्रशेखर, वगैरह जैसे वित्तीय पूँजी के ‘मृदु, सौम्य, विद्वान्, विशेषज्ञ, प्रबंधक, टेक्नोक्रेट’ पर शातिर दिमाग वाले मालिक/कारिंदे – ही होते हैं। इन्हीं के द्वारा पूरी प्रशासनिक व्यवस्था के अंदर निर्मित इस मशीनरी के सहारे, संरक्षण में ही फासीवादी लम्पट गिरोह समाज में सब जनवादी शक्तियों को कुचलने का अभियान चलाते हैं।

नई दिल्ली से प्रकाशित मार्स लाइट पत्रिका में साक्षात्कार देते हुये आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नें बिंदुवार निम्न बातें कहीं थीं

प्रश्नोत्तर – 1
आधार कार्ड जलाने की स्थिति क्यों आयी – ? पर आपको बताना चाहता हूँ कि जब-जब सरकारें अंधी – बहरी हो जाती हैं , चाहे वे कोई हों , तब – तब , असेम्बली में बम फेकने , साण्डर्स को गोली मारनें , सरकारी प्रपत्र जलाने की ज़रुरत पड़ जाती है , सरकारों की असंवेदनशीलता क्रान्ति का मार्ग चुननें के लिए विवश कर देती हैं ।
प्रश्नोत्तर – 2
रही बात परिणामों की तो जवाब में केवल इतना कहूँगा की परिणामों की चिंता और भय दिखा – दिखा कर इन काले अंग्रेज शाशकों नें आवाम को पथभ्रष्ट और नपुंषक बना दिया है , मै , आवाम को जगाने में कामयाब होऊँ या ना होऊँ यह संतोष तो रहेगा कि मै लड़ा और अंत तक लड़ा , बिना थके लड़ा ।
प्रश्नोत्तर – 3
ऐसा नहीं है विरोध हर स्तर से कर रहा हूँ , मेरी बात तो साफ़ है कि सब तरीके का असहयोग कीजिये , ये देश जितना आपका है , उतना ही मेरा भी है और उतना ही सबका है , और यदि ये देश सबका है तो आप अपनी तरफ से गैर ज़रूरी चीजें थोप नहीं सकते , मेरी बात जाने दीजिये , देश के माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हिदायतें आयीं , प्रश्न उठाये गये , लेकिन देश का जो मौजूदा शाशक है वह सब तरह से आवाजों को अनसुना करनें पर आमादा है ।
प्रश्नोत्तर – 4
अपने प्रयासों में  कितना सफल हुआ हूँ इसके जवाब में इतना ही कहूँगा कि बात उठी है तो दूर तलक जायेगी , आप तक बात पहुँची है आप संजीदा हुयें हैं इसी तरह धीरे-धीरे लोग सड़को पर उतरेंगे , वैसे भी इस देश में क्रांति – आंदोलन थोड़ा धीमी गति से पनपते हैं लेकिन अंत में दम्भी सत्ता को उखाड़ कर फेंक ही देते हैं ।
प्रश्नोत्तर – 5
अगला कार्यक्रम यह है कि जो जहाँ भी है , निजी – सार्वजनिक , एकाकी – सामूहिक , रूप में आवाम को , गैरज़रूरी आधार कार्ड योजना के लिये जागरूक करे और तीखी प्रतिक्रिया दर्ज कराने के लिये प्रेरित करे , कई जगहों पर प्रतिक्रिया के लिये तैयारियां चल रही हैं ।
प्रश्नोत्तर – 6
पार्टी सरकारी दस्तावेज जलाने वाली पार्टी के रूप में जानी जायेगी इस प्रश्न पर मेरा इतना कहना है कि बात को समझिये दस्तावेज तो हमारा है , सरकार इसे जबरन थोप रही है , कोई सरकारी विभाग लिख कर नहीं माँग रहे , लेकिन सब तरीके का दबाव बना रहे हैं , की बस आधार बनवा कर दो , तथाकथित साहेब जो अब देश के प्रधानमंत्री हैं वे जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब , लिखकर आर्डर नहीं करते थे , लेकिन करवाते वही थे जो वो चाहते थे , अब यही तरीका देश चलाने के लिए भी अख्तियार  किया जा रहा है ।

प्रश्नोत्तर – 8
आधार परियोजना के विरोध में गाँधी जी का सन्दर्भ और वैध प्रमाण इस प्रश्न के विषय में आपको एक ऐतिहासिक सन्दर्भ बताता हूँ कि गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका के प्रवास में यह वहाँ का कानूनी प्रावधान था कि काली चमङी और एशियाई लोगों को एक अतिरिक्त पहचान पत्र की अनिवार्यता थी जिसमें हाँथ के पंजों की पूरी छाप ली जाती थी और वहाँ उस समय इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन चला कर विरोध स्वरुप इसे जलाने की कार्यवाही को अंजाम दिया गया था , विदेशी कपड़ों की होली जलाने सम्बन्धी विरोध प्रदर्शन की बात तो सभी को मालूम ही है , व्यवस्था के जिस सन्दर्भ से हमारा विरोध है , ” जलाना ” विरोध का प्रतीक और प्रतिक्रिया है ।
प्रश्नोत्तर – 9
एक बार किन्ही सन्दर्भों में गाँधी जी से पूछा गया कि आखिर आप किस तरीके की स्वतंत्रता की बात चाहते हैं -? तब उनका जवाब था एक ऐसी स्वतंत्रता जिसमें गलतियाँ करने की भी स्वतंत्रता हो , और मौजूदा हालात तो आपको सब तरह से प्रतिबंधित और संकुचित कर देने पर बाध्यकारी हो चुके हैं , हर चीज की परमिशन चाहिये , सुरक्षा – संरक्षा और व्यवस्था के नाम पर जटिलता थोप रही है यह व्यवस्था , आधार कार्ड ही नहीं बल्कि इस देश की अधिकतम व्यवस्थायें गाँधी जी और उनके दर्शन के खिलाफ है सरकारों नें पूरे देश को एक बड़े बाज़ार में तब्दील कर दिया है ।आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी का मानना है कि आज सरकार और सरकारी तंत्र अनैतिकता के बड़े पोषक बन गए हैं। धंधा करने , धंधा बढ़ाने के चक्कर में मोबाईल पर मैसेज आते हैं कि रंगीन बातें कीजिये ,गरम तस्वीरें देखिये। आखिर सरकार और धंधा करने वाले लोग आवाम को क्या सन्देश देना चाहते हैं – ? झूठ फरेब और सब तरीके की अनैतिकता के खिलाफ आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी एक बड़ी लड़ाई छेड़नें का मन बना चुकी है। वे कहते हैं खूब कमाओ – खूब खर्च करो , हम कहते हैं की कम कमाओ और पड़ोसी का  ख़याल रखो ।
प्रश्नोत्तर – 10
मैनें कहा न “जलाना”  विरोध – प्रदर्शन का एक तरीका भर है और जो चीजें आवाम के खिलाफ हैं , अमानवीय – अप्रासंगिक और गैर जरूरी हैं , उनका सतत विरोध ही मानवीय चेतना व  स्वतंत्रता को बचाये – बनाये रखने का सरल तरीका है ।