पत्र-२
बात-चीत में स्वाभाविक रूप से उपजे प्रसंग के बाद आपका स्वर कुछ उग्र होकर तीक्ष्ण हो गया तब बात बिलावजह की बहस में न तब्दील हो इसी लिये कॉल काटकर मोबाईल बिस्तर पर दूर फेंक दिया, थोड़ा बाद में जान पाया की वो ऑफ हो गया था जब ऑन किया तो आपका SMS मिला SMS का मतलब ही नहीं समझ पा रहा हूँ , आखिर किस वजह से इतना कोप – इतनी वितृष्णा दो आत्यांतिक रूप में हार्दिकता से जुड़े व्यक्ति बात-चीत में यदि अपना विषाद-कष्ट अथवा दुःख-रोग-ताप इत्यादि साझा करते हैं तो इसमें इतनी कुपित होने वाली कौन सी बात है -? क्या व्यक्ति के माँ – बाप- भाई- बहन-पति-पत्नी- या ऐसे ही सखा-सहोदर और रिश्ते-नाते वाले लोगों से ही आत्मीयता और प्रेम होते हैं-? ईश्वर-ईश्वरीय सत्ता,-बंधुओं-गुरुओं-उपकारियों