Justice For Abhijeet Mona
3 months ago
पत्र की तारतम्यता से अलग हटकर यह भी बताना चाहता हूँ कि किन्ही संयोगवश , सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई , उन्होंने कहा कि -:
"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है , इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ। अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है , कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .
इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे , फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब , जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये , उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें।
यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी , मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के विषय में ध्यान देने योग्य तथ्य ---------
(1).-: कागजात की छान-बीन करनें पर ऐसा लगता है कि तारीख 08:05:2013 को सायं 08:50 बजे डॉक्टर संतोष मोरे को मृतक अभिजीत की डेडबॉडी मिली , रात्रि 09:00 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू किया गया , रात्रि 10:00 बजे पोस्टमॉर्टम खत्म हो गया। ######### अब ध्यान दीजिये कि ---: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार मृतक अभिजीत की मृत्यु दिनांक - 07:05:2013 को रात्रि में ही हो गयी होगी , अन्य लोगों , पुलिस तथा बैंक कर्मियों को दूसरे दिन दिनाँक 08:05:2013 को दिन में 11:00 बजे के आस-पास पता लग गया था , अब प्रश्न ये उठता है कि पोस्टमॉर्टम में इतनी अधिक देरी क्यों हुई / की गई।
(2).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में Date of Death और Time of Death का कोई जिक्र नहीं है।
(3).-: रस्सी मृतक अभिजीत के गले में किस तरह बँधी थी , बॉडी के साथ थी या नहीं थी , रस्सी Examine की गयी या नहीं , इसका कोई जिक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है।
(4).-: मृतक अभिजीत के कोई भी सगे-संबंधी , अभिन्न मित्र अथवा परिवार का कोई सदस्य आदि वहाँ मौके पर उपस्थित नहीं थे , संदेहास्पद मृत्यु होनें के बाउजूद मृतक अभिजीत का बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया।
(5).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जगह-जगह AS Per Request लिखा हुआ है , इसका क्या निहितार्थ है , आखिर ये Request कौन और क्यों कर रहा था।
(6).-: लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी ########ध्यान दीजिये -----:::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है , और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं , तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं।
........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/ ...
7 months ago
पत्र की तारतम्यता से अलग हटकर यह भी बताना चाहता हूँ कि किन्ही संयोगवश , सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई , उन्होंने कहा कि -:
"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है , इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ। अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है , कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .
इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे , फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब , जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये , उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें।
यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी , मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के विषय में ध्यान देने योग्य तथ्य ---------
(1).-: कागजात की छान-बीन करनें पर ऐसा लगता है कि तारीख 08:05:2013 को सायं 08:50 बजे डॉक्टर संतोष मोरे को मृतक अभिजीत की डेडबॉडी मिली , रात्रि 09:00 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू किया गया , रात्रि 10:00 बजे पोस्टमॉर्टम खत्म हो गया। ######### अब ध्यान दीजिये कि ---: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार मृतक अभिजीत की मृत्यु दिनांक - 07:05:2013 को रात्रि में ही हो गयी होगी , अन्य लोगों , पुलिस तथा बैंक कर्मियों को दूसरे दिन दिनाँक 08:05:2013 को दिन में 11:00 बजे के आस-पास पता लग गया था , अब प्रश्न ये उठता है कि पोस्टमॉर्टम में इतनी अधिक देरी क्यों हुई / की गई।
(2).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में Date of Death और Time of Death का कोई जिक्र नहीं है।
(3).-: रस्सी मृतक अभिजीत के गले में किस तरह बँधी थी , बॉडी के साथ थी या नहीं थी , रस्सी Examine की गयी या नहीं , इसका कोई जिक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है।
(4).-: मृतक अभिजीत के कोई भी सगे-संबंधी , अभिन्न मित्र अथवा परिवार का कोई सदस्य आदि वहाँ मौके पर उपस्थित नहीं थे , संदेहास्पद मृत्यु होनें के बाउजूद मृतक अभिजीत का बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया।
(5).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जगह-जगह AS Per Request लिखा हुआ है , इसका क्या निहितार्थ है , आखिर ये Request कौन और क्यों कर रहा था।
(6).-: लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी ########ध्यान दीजिये -----:::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है , और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं , तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं।
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8 months ago
सुशांत मामले की जांच सीबीआई को चूँकि वो फिल्मस्टार और सेलिब्रिटी थे
.................................................देश की आज यही लीड खबर है
🙄
तो बताइए की कोल्हापुर में इस सनसनीखेज और जघन्य अपराध के दोषियों को सजा कब मिलेगी
.........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/
..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?
उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )
प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।
प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।
प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।
प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।
कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?
उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।
अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है। ...
8 months ago
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में
हुये इस सनसनीखेज और जघन्य अपराध के
दोषियों को सजा कब मिलेगी
Justice For Abhijeet - Mona ...
8 months ago
सुशांत मामले की जांच सीबीआई को चूँकि वो फिल्मस्टार और सेलिब्रिटी थे
.................................................देश की आज यही लीड खबर है
🙄
तो बताइए की कोल्हापुर में इस सनसनीखेज और जघन्य अपराध के दोषियों को सजा कब मिलेगी
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..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?
उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )
प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।
प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।
प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।
प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।
कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?
उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।
अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है। ...
1 years ago
लड़ाई खिंच रही है
तो मायूस मत होना
सजा हर एक गुनेहगार को दिलाऊंगा पुलिस, सीबीआई या अदालत Shahupuri PS, Kolhapur, AD No. -: 49/2013 ...
1 years ago
Justice For Abhijeet - Mona पर विज़िट करने वाले लोगों
यह बताइये कि कोल्हापुर में हुई मर्डर मिस्ट्री में
दोषियों को सजा कैसे मिले ...
2 years ago
जिस दिन महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर जनपद में ऐसी / ऐसा ईमानदार और जुझारू जज्बे वाली / वाला आई पी एस अफसर चार्ज ले लेगा उसी दिन Abhijeet Dutt Tripathi को न्याय मिलने की प्रक्रिया शुरू होगी और सभी लोग सजा पायेंगें Justice For Abhijeet - Mona ...
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..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?
उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )
प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।
प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।
प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।
प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।
कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?
उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।
अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।
प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ? उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है ।
प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?
उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।
प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -? उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं ।
प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-? उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं ।
प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -? उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये ।
प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-? उत्तर -: अभी तक नहीं ।
प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -? उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।
******************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता । मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं) हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की किसी नें कुछ भी नहीं बताया न ही नौकरानी का कुछ पता चला । पूरी घटना जाननें के लिये सबसे ऊपर दिये गये लिंक पर जाकर जस्टिस फॉर अभिजीत - मोना पेज का अध्ययन कीजिये ...
2 years ago
मुझे पूरी उम्मीद है कि
न्याय मिलेगा
वैसे भी केस को आधार देने वाले तथ्य साइबर दुनिया के हैं
जो युगों-युगों तक मिटाये नहीं जा सकते-- ...
2 years ago
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उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )
प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।
प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।
प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।
प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।
कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?
उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।
अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।
प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ? उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है ।
प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?
उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।
प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -? उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं ।
प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-? उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं ।
प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -? उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये ।
प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-? उत्तर -: अभी तक नहीं ।
प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -? उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।
******************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता । मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं) हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की किसी नें कुछ भी नहीं बताया न ही नौकरानी का कुछ पता चला । पूरी घटना जाननें के लिये सबसे ऊपर दिये गये लिंक पर जाकर जस्टिस फॉर अभिजीत - मोना पेज का अध्ययन कीजिये ...
2 years ago
लड़ाई खिंच रही है
तो मायूस मत होना
सजा हर एक गुनेहगार को दिलाऊंगा पुलिस, सीबीआई या अदालत Shahupuri PS, Kolhapur, AD No. -:49/2013 ...
2 years ago
3 years ago
जिस कमरे में मृतक अभिजीत लटके पाये गये थे , उस कमरे के बॉलकनी के दरवाजे के सामनें की बिल्डिंग के फोटोग्राफ्स लेनें पर कुछ "नजरें" , हमें क्रूरता और आक्षेप कि रहस्यमयी मनोदशा से घूर रहीं थीं , अब जबकि मृतक अभिजीत की पेनड्राइव से एक छोटी फिल्म बरामद हुई है तब यह स्पष्ट है कि उन्हें आपत्ति क्यों हो रही थी।
.. क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........भाग -07 ....
फैजाबाद आकर अभिजीत के कमरे से प्राप्त मोबाइल सिम, चिप, पेन ड्राइव, आदि का परीक्षण करनें पर विस्मयजनक तथ्य सामनें आये ।
अक्टूबर 2013 में मै पुनः कोल्हापुर गया , तमाम फोटोग्राफ्स और अन्यान्य सुबूत के साथ एक विस्तृत प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया जिसका मजमून इस प्रकार है-:
दिनांक -: 11:10:2013
सेवा में ,
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
जिला -: कोल्हापुर , महाराष्ट्र(भारत)
विषय -: शाहूपुरी पुलिस स्टेशन में दिनांक 8 मई 2013 को दर्ज की गयी FIR संख्या 49/2013 (तत्सम्बन्धित आवश्यक प्रपत्र संलग्नक संख्या एक से सात के रूप में संलग्न हैं)
महोदय ,,
उपरोक्त विषय सन्दर्भ में निवेदन है कि पूर्व में मेरे पिता श्री सोमदत्त त्रिपाठी द्धारा , आपको भेजे गये पत्र में सिलसिलेवार ढंग से घटनाक्रम का विश्लेषण करते हुये , आपेक्षित कार्यवाहियों माँग की गयी थी , तत्सम्बन्धित पत्र उच्चाधिकारियों को भी प्रेषित किये गए थे। (संलग्नक संख्या सात के रूप में प्रतिलिपि संलग्न है )
इन्ही क्रमों में आगे आपको बताना चाहता हूँ कि मेरा दिवंगत सहोदर/सगा भाई मृतक अभिजीत जिस मकान में रहते हुये मृत पाया गया , उसे खाली करनें , उसका सामान ले जानें हेतु मै दिनाँक 28 मई 2013 को कोल्हापुर आया।
तत्कालीन विवेचना अधिकारी हवलदार श्री सीताराम डोईफोडे व मकान मालिक उदय कुमठेकर की अनुमति , देख-रेख व सहयोग से कुछ सामान , कपड़े , वॉशिंग मशीन , थोड़े बर्तन , बिस्तर , दोनों ट्रॉली बैग , हैंडबैग , कुछ मोबाइल चिप्स , पेनड्राइव आदि लेकर वापस गया।
हवलदार महोदय को मृतक अभिजीत के लैपटॉप चार्जर के साथ-साथ उस रस्सी का टुकड़ा भी सौंपा जिसे मैनें मकान खाली करते समय बरामद किया था , जो मिलान करनें पर हू-ब-हू वही थी , जिसका प्रयोग मृतक अभिजीत के शरीर को लटकाने के लिये किया गया था।
इन्ही क्रमों में यह भी स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैनें तफ्तीश के इरादे से मकान खाली करते समय कई सारे फोटोग्राफ्स , प्रत्येक एंगल से लिये , जिन्हें प्रस्तुत पत्र के साथ आपको सौंप रहा हूँ।
एक और घटना का जिक्र करना जरूरी समझता हूँ कि जब मै तमाम फोटोग्राफ्स लेनें में मशगूल था , तब हमनें यह मार्क किया कि जिस कमरे में मृतक अभिजीत लटके पाये गये थे , उस कमरे के बॉलकनी के दरवाजे के सामनें की बिल्डिंग के फोटोग्राफ्स लेनें पर कुछ "नजरें" , हमें क्रूरता और आक्षेप कि रहस्यमयी मनोदशा से घूर रहीं थीं , अब जबकि मृतक अभिजीत की पेनड्राइव से एक छोटी फिल्म बरामद हुई है तब यह स्पष्ट है कि उन्हें आपत्ति क्यों हो रही थी।
.. क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
किन्ही संयोगवश, सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई, उन्होंने कहा कि -:
"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है, इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ । अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है, कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .
इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे, फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब, जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये, उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें ।
लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी :::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है, और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं, तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं । ...
3 years ago
मोना तुम जहां भी हो सुख से रहो । शरीर के नष्ट होनें के बाद भी यात्रा चलती ही रहती है युग बीतते जाते हैं आत्मा तमाम पहनावे, पहनकर, उतारती रहती है, युगों के तदनन्तर युग बदलते रहते हैं किन्तु यात्रा तभी थमती है जब पिछली अनन्त यात्राओं के कोटि-कोटि संस्कार लुप्त हो जायें, संस्कारों के लुप्त होने का एक ही उपाय है आग्रहों-आकांक्षाओं से छुटकारा पा लेना, और छुटकारा हो जाये इसका भी एक ही उपाय है, स्वीकार, स्वीकार परमात्मा की तमाम इच्छाओं के प्रति, स्वीकार अपने वर्तमान जीवन के संघर्षों के प्रति, स्वीकार तमाम सारी उलाहनाओं - यात्राओं और कष्टों के प्रति , स्वीकार अभीप्साओं के नष्ट होने के प्रति, स्वीकार तमाम सारे स्वप्नों, जीवन और संसार के नष्ट होने के प्रति ।
जब स्वीकार इतना अधिक गहन हो जायेगा, तब समस्त प्रकार के संस्कार अपने समग्र रूप में नष्ट ही हो जायेंगे और तब मुक्ति ही एक परम प्रतिफल है । यह अलग विषय है की मुक्ति के बाद एकमात्र मुक्ति ही बचती है शेष सब का लोप हो जाता है ।
तुम्हारी अनन्त यात्राओं के लिये ईश प्रार्थना और शुभकामनायें ।
मेरी लड़ाई जारी है, ये नहीं कहूंगा की तुम्हारे लिये लड़ रहा हूँ, लेकिन जो लड़ाइयां लड़ रहा हूँ उसमें एक का करण और कारण तुम ही हो और हाँ यदि जीवन अकस्मात भी चुक गया तो भी लड़ाई को इतना विस्तारित कर चुका होऊंगा कि समय इस लड़ाई को एक सही अंजाम दे ही देगा.....और क्या लिखूं बेटा ! ये भी तो नहीं कह सकता कि चिरंजीवी होओ । चलो कहता हूँ मुक्त होओ बेटा ।
दिल की हर धड़कन पर तुम्हे याद रखने वाला
तुम्हारा बड़ा भाई
Brajendra
.................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) . ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे ..............................भाग -14 ...................
###### फोटो जो घटना स्थल पर खींची गयीं थीं उनका सच ########
मृतक अभिजीत की फोटो , घटना स्थल पर पुलिस नें खिंचवाई ( फोटो का बिल, पोस्मॉर्टम हॉउस का बिल, ताबूत का बिल, एम्बुलेन्स का बिल, फोटोकॉपी, मृतक के शव की पैकिंग और आवा-जाही आदि छोटे-बड़े सभी तरह के खर्चों का बिल, सब जोड़कर ब्रांच मैनेजर इंग्ले नें दिखाया और मुझसे भुगतान प्राप्त किया ) पूंछने पर यह बताया गया था कि ट्रॉली बैग के ऊपर चढ़कर, मृतक अभिजीत लटके हुये थे, जबकि घटना स्थल पर खींची गयी फोटो में साफ दिखाई दे रहा है कि मृतक अभिजीत के दोनों पैर मुड़े हुये हैं, जमीन से छू रहे हैं, क्या इस प्रकार से आत्महत्या की जा सकती है -?
...................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) . ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ******************** गतांक से आगे ......................भाग -13 ...............
-------------------------***** Truth , Allegation & My Hope about this Murder Mystery ********-------------------
- पुलिस चाहे तो अभिजीत दत्त त्रिपाठी की मृत्यु का सच सामनें आ सकता है, परिस्थितिजन्य साक्ष्य इतनें महत्वपूर्ण हैं कि सारा रहस्य सामनें आ सकता है, कहावत है जब कोई सुबूत न हों तब अपराधी का Confession ही सबसे बड़ा सुबूत है, इस केस में कड़ियाँ उलझीं जरूर हैं पर सामनें हैं, पुलिस की मजबूत इच्छाशक्ति और सख्ती से सभी संदेहास्पद आरोपी अपना अपराध क़ुबूल कर लेंगे ।
-- मृतक अभिजीत का पोस्मॉर्टम करनें वाले डॉक्टर नें अभिजीत दत्त त्रिपाठी की डेडबॉडी की फोटो देखकर ( जो मृत्यु के उपरान्त बैंक कर्मियों द्धारा खिंचवाई गयी थी, जिसके बिल का भुगतान मैनें किया ) रटी - रटाई मनगढंत और झूठी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाई ।
-- डॉक्टर की साजिश थी कि मृतक अभिजीत दत्त त्रिपाठी का शरीर घर तक न पहुंचने पाये, डॉक्टर यह भलीं-भांति जानते थे कि डेडबॉडी बुरी तरह डिकम्पोज हो जायेगी और आनन-फानन में अंतिम संस्कार करना पड़ेगा, तथा डेडबॉडी जल जानें के बाद कोई सुराग हाँथ नहीं लगेगा । डॉक्टर से कड़ी पूछ-ताछ में सच्चाई सामनें आ सकती है ।
-- पूरे घटनाक्रम में कुछ लोग रहे होंगे, जो साक्ष्य मिटानें व मामले को आत्महत्या का रूप देकर रफा-दफा करनें में लगे थे । डॉक्टर, साफतौर पर गुनहगार हैं जिनके माध्यम से अन्य मुख्य अपराधियों तक पहुंचा जा सकता है ।
........................ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********************** गतांक से आगे ....................भाग -12 ...............
मृतक अभिजीत दत्त त्रिपाठी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के विषय में ध्यान देने योग्य तथ्य ---------
(1).-: कागजात की छान-बीन करनें पर ऐसा लगता है कि तारीख 08:05:2013 को सायं 08:50 बजे डॉक्टर को मृतक अभिजीत की डेडबॉडी मिली, रात्रि 09:00 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू किया गया, रात्रि 10:00 बजे पोस्टमॉर्टम खत्म हो गया । ######### अब ध्यान दीजिये कि ---: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार मृतक अभिजीत की मृत्यु दिनांक - 07:05:2013 को रात्रि में ही हो गयी होगी, अन्य लोगों, पुलिस तथा बैंक कर्मियों को दूसरे दिन दिनाँक 08:05:2013 को दिन में 11:00 बजे के आस-पास पता लग गया था, अब प्रश्न ये उठता है कि पोस्टमॉर्टम में इतनी अधिक देरी क्यों की गई ।
(2).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में Date of Death और Time of Death का कोई जिक्र नहीं है ।
(3).-: रस्सी मृतक अभिजीत के गले में किस तरह बँधी थी, बॉडी के साथ थी या नहीं थी, रस्सी Examine की गयी या नहीं, इसका कोई जिक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है ।
(4).-: मृतक अभिजीत के कोई भी सगे-संबंधी, अभिन्न मित्र अथवा परिवार का कोई सदस्य आदि वहाँ मौके पर उपस्थित नहीं थे, संदेहास्पद मृत्यु होनें के बाउजूद मृतक अभिजीत का बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया ।
(5).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जगह-जगह AS Per Request लिखा हुआ है, इसका क्या निहितार्थ है, आखिर ये Request कौन और क्यों कर रहा था ।
(6).-: लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी ######## ध्यान दीजिये -----:::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है, और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं, तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं ।
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........................ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********************* गतांक से आगे ................भाग -11 ....................
जिस, महिला को तत्समय शाहूपुरी पुलिस स्टेशन लाया गया था, उनका कोई बयान पत्रावली में उपलब्ध नहीं मिला न ही कोई ऐसा संतोषजनक तात्पर्य कि उन्हें क्यों छोड़ दिया गया--?
2 .-- पुलिस के पास जब्त सामान दो मोबाइल, लैपटॉप, मृतक अभिजीत का पर्स (जिसमें केवल पचास रुपये का एक नोट और दो-चार सिक्के तमाम डेबिट-क्रेडिट कार्ड थे ) प्राप्त किये, मोबाइल और लैपटॉप के कम्प्लीट डाटा की सीडी बनवाकर विवेचना अधिकारी को दे दिया ।
3 . -- कोल्हापुर म्युनिसिपल बोर्ड के पास अभिजीत दत्त त्रिपाठी की मृत्यु का कोई अभिलेख अथवा जानकारी उपलब्ध नहीं थी, लिहाजा उन्होंने अनअवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट बनाकर हमें दे दिया (स्थानीय पार्षद नें मदद की) और मृत्यु प्रमाण पत्र प्रदान किये जानें के लिये मजिस्ट्रेट के आदेश की प्रस्तुति के लिये कहा गया ।
म्युनिसिपल बोर्ड ने बताया कि सामान्यतया पोस्टमॉर्टम करनें वाला डॉक्टर, निर्धारित प्रारूप पर मृतक का विवरण अस्पताल से म्युनिसिपल बोर्ड को भेज देता है, परंतु प्रस्तुत प्रकरण में अस्पताल द्धारा, म्युनिसिपल बोर्ड को कोई विवरण नहीं भेजा गया है ।
अंततः वहाँ के एक स्थानीय एडवोकेट को मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिये जरूरी कागजात दे दिया (एक चचेरे भाई दीपक जो उस समय वहीं पोस्ट थे उनसे पैरवी करने का वचन लिया , कागजात का एक सेट उन्हें भी सौंपा आश्वस्त हुआ) और इस आश्वासन के साथ कि थोड़े दिनों में कागज - बनकर मिल जायेगा , पुलिस से प्राप्त सामान के साथ मै वापस आ गया ।
---ध्यान देनें योग्य आवश्यक बिंदु -----:
अभिजीत के कमरे से स्त्रियों की सौन्दर्य प्रसाधन सामाग्री मिलनें से यह बलवती संभावना है कि कोई तो अभिजीत के कमरे पर आती-जाती थी, कामवाली नौकरानी से गहन पूँछ-तांछ करनें पर बहुत सी बातें साफ़ हो सकती हैं ।
-- (A) abhijeetdutt@gmail.com (B) gettoadt@yahoo.com (C) iamabhijeet@rediffmail.com (D) abhijeetdutt@canarabank.com ये चारों अभिजीत की मेल आईडी हैं शायद इन्हें खंगालने पर महत्वपूर्ण सूत्र मिलें ।
...................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ******************* गतांक से आगे .................. भाग -10 ...................
मै, अपने सगे/सहोदर भाई मृतक अभिजीत दत्त त्रिपाठी के दिवँगत होनें के बाद पूरे प्रकरण पर नए सिरे से रोशनी डालकर आपको विभिन्न सूत्रों/तथ्यों से अवगत करा रहा हूँ । यदि मेरा भाई गलत था तो उसे सजा मिल गयी, लेकिन उसकी गलती में जो भी बराबर के भागीदार लोग हैं, उन्हें भी कानूनन सजा मिलनी चाहिये, ऐसे ही संतुलित न्याय की आशा में आपको सच से अवगत करानें का प्रयास कर रहा हूँ ।
अत्याधुनिक साइबर युग में जो भी तथ्य हैं वे अमिट हैं बस केवल गहन पड़ताल की जरूरत है , जरूर ऐसा स्पष्ट कारण मिल सकेगा जिससे कि यह पता चले कि अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या/मृत्यु अकारण नहीं है ।
आईपीएस ज्योति प्रिया सिंह को रूबरू मिलकर पत्र देकर अपनी वेदना से अवगत कराया, तदुपरांत उनके द्धारा निर्देश जारी करनें के उपरान्त शाहूपुरी पुलिस स्टेशन के इंचार्ज इन्स्पेक्टर नें तेजी . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
इंचार्ज इंस्पेक्टर को जो अन्यान्य सुबूत और पत्र सौपें, उनकी रिसीविंग तो उनके द्धारा नहीं दी गयी, परंतु आपेक्षित तेजी प्रदर्शित की गयी थी, इंचार्ज इंस्पेक्टर नें ठोस आश्वासन दिया कि वे विवेचना को विधिवत आगे बढायेंगे, मेरी वापसी की ट्रेन का समय हो गया था, इसलिये मै उनकी सदाशयता पर संतुष्ट होकर वापस चला आया ।
1 . - विवेचना की प्रगति जाननें के लिये 2 . - पुलिस के पास जब्त सामानों लैपटॉप व मोबाइल आदि को प्राप्त करनें एवं 3 .- कोल्हापुर म्युनिसिपल बोर्ड से मृतक अभिजीत दत्त का डेथ सर्टिफिकेट लेनें दिनांक 07 फरवरी 2015 को कोल्हापुर गया सौभाग्यवश अबकी भी महाराष्ट्र पुलिस सेवा में वरिष्ठतम आईपीएस आईजी का रेफरेंस मेरे साथ था, किन्तु वहाँ -----
1 .-- विवेचना में कोई विशेष प्रगति हुई ही नहीं थी, मृत्यु के समय अभिजीत के पास तीन मोबाइल नंबर कार्यरत थे,
(A) .-- Reliance Postpaid CDMA Mobile No . - 9370965171
(B). -- Uninor Prepaid No . - 7841096031
(C). -- Tata GSM No . - 8087596638
उपरोक्त तीनों मोबाइल नंबर महत्वपूर्ण हैं, किन्तु न उन पर आने-जानें वाली कॉल डिटेल्स पर ध्यान दिया गया न ही SMS डाटा पर । केवल 9370965171 की आधी-अधूरी कॉल डिटेल्स निकाली गयी हैं । मृतक अभिजीत के पैतृक आवास फैजाबाद के पते पर मृतक अभिजीत के ही नाम से आवंटित किसी मोबाइल नंबर 9389964728 से, अभिजीत के पास लगातार बात होती रही, यह नहीं पता लग पाया कि इसका यूजर कौन है --?
....................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .................भाग -09............................
मै, यह कहना चाहता हूँ कि मृतक अभिजीत के कमरे पर घटना वाली रात कुछ लोग आये, जिन्हें शायद, "वे" जानते-पहचानते भी रहे होंगे, बात-चीत यूं ही शुरू हुई होगी, बाद में परिणिति कुछ और हो गयी, "उन्हें" जिस किसी भी तरह से अनकांशस किया गया, कहीं बच न जायें, इस डर से, आनन-फानन में, रस्सी खोजकर लटकाया गया, उन लोगों नें कागज या फोटोग्राफ जैसी कोई चीज लैट्रिन में जलायी भी, लेकिन हड़बड़ी में उस पर पानी नहीं डाला, भागते समय एक को छोड़ कर, बाकी लोग मुख्य द्धार से गये , कोई एक आदमी मुख्य द्धार बंद करके, लाइटें बुझाकर, बॉलकनी के दरवाजे से नीचे उतरा, लेकिन स्विच की गड़बड़ी से बाद में लाइट जल गयी होगी ।
प्रस्तुत पत्र की तारतम्यता से अलग हटकर यह भी बताना चाहता हूँ कि किन्ही संयोगवश, सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई, उन्होंने कहा कि -:
"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है, इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ । अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है, कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .
इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे, फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब, जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये, उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें ।
यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी, मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ।
मेरे द्धारा की गयी सघन छान-बीन से एक बात स्पष्ट है कि मेरे सगे/सहोदर भाई अभिजीत की मृत्यु स्वरचित आत्महत्या नहीं है बल्कि एक सोची-समझी हत्या है, यदि मृत्यु का कारण लटकना ही है तो भी वह लटकाया जाना है न कि आत्महत्या , पुलिस संवेदनशील होकर बारीकी से गहन जांच-पड़ताल करे तो सच सामनें आ सकता है ।
........................ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .....................भाग -08 ..............
मृतक अभिजीत अविवाहित थे, उनके कमरे से स्त्री सौन्दर्य प्रशाधन सम्बंधित चीजों के साथ एक जोड़ी स्त्री अंतःवस्त्र मिले, इन सबका उपयोग करनें वाली की शिनाख्त और कड़ी पूछ-ताछ हो तब कुछ ढेर सारे तथ्य उजागर हो सकते हैं । मृतक अभिजीत की एक नोटबुक से किसी महिला से हुई बात-चीत का स्पष्ट ब्यौरा मिला है, जिसमें हुये सवालों की हैंडराइटिंग अभिजीत की है, जवाब महिला की हैंडराइटिंग में है, इस बिंदु पर भी व्यापक तफ्शीश किये जानें की जरूरत है । मृतक अभिजीत के कमरे से बरामद पेनड्राइव में एक अत्यंत अश्लील/आपत्तिजनक फोटो मिली है जो संभवतः लाइव चैटिंग के दौरान क्लिक करनें से preserve हो गयी हो, उसके अतिरिक्त मृतक के मोबाइल चिप में किसी महिला से घंटों हुई बात-चीत का ब्यौरा उपलब्ध है , ये तथ्य यह प्रदर्शित करते हैं कि संभवतः अभिजीत किन्ही गहरे संबंधों में इन्वाल्व रहे हों, जो कदाचित उनकी हत्या का कारण बना हो । मृतक अभिजीत के कमरे से मिली पेनड्राइव में एक लघु फिल्म भी मिली है जो उस कमरे के बॉलकनी वाले दरवाजे के सामनें वाली बिल्डिंग के छत पर मंडराती लड़की की है, जहाँ कि मृतक अभिजीत का लटकता शव पाया गया था । मृतक अभिजीत के कमरे से रिलायंस CDMA मोबाइल नम्बर 9370965171 का बिल, जो कि 31 मार्च 2013 से 08 अप्रैल 2013 के लिये वैध है, मिला है, जिसके अनुसार तीन-चार नंबरों पर लगातार बात-चीत के प्रमाण/विवरण प्रदर्शित होते हैं, इन मोबाईल नंबर धारकों /यूजर के सघन निगरानी व विधिक परीक्षण की आवश्यकता है । ऐसा स्पष्टतया प्रतीत होता है कि इन मोबाइल नंबरों पर हुई बात-चीत से मृतक अभिजीत की हत्या होनें का गहरा सम्बन्ध है ।
मृतक अभिजीत पोस्टपेड इंटरनेट कनेक्सन के यूजर थे। घटना वाली रातके 10:34 तक वे अपनें मित्र रोहित यादव आदि से चैटिंग करते रहे, बाद में 10:58 पर इंटरनेट ऑफ कर दिया गया, फिर कुछ साफ नहीं कि बाद में ऐसा क्या-क्या हुआ ।पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों नें बताया कि कमरे की लाइट जल रही थी, पुलिस ही यह बता सकती है कि उसे लैपटॉप ऑन मिला या कि ऑफ........................................................
.................. क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........भाग -07 ....
फैजाबाद आकर अभिजीत के कमरे से प्राप्त मोबाइल सिम, चिप, पेन ड्राइव, आदि का परीक्षण करनें पर विस्मयजनक तथ्य सामनें आये ।
अक्टूबर 2013 में मै पुनः कोल्हापुर गया , तमाम फोटोग्राफ्स और अन्यान्य सुबूत के साथ एक विस्तृत प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया जिसका मजमून इस प्रकार है-:
दिनांक -: 11:10:2013
सेवा में ,
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
जिला -: कोल्हापुर , महाराष्ट्र(भारत)
विषय -: शाहूपुरी पुलिस स्टेशन में दिनांक 8 मई 2013 को दर्ज की गयी FIR संख्या 49/2013 (तत्सम्बन्धित आवश्यक प्रपत्र संलग्नक संख्या एक से सात के रूप में संलग्न हैं)
महोदय ,,
उपरोक्त विषय सन्दर्भ में निवेदन है कि पूर्व में मेरे पिता श्री सोमदत्त त्रिपाठी द्धारा , आपको भेजे गये पत्र में सिलसिलेवार ढंग से घटनाक्रम का विश्लेषण करते हुये , आपेक्षित कार्यवाहियों माँग की गयी थी , तत्सम्बन्धित पत्र उच्चाधिकारियों को भी प्रेषित किये गए थे। (संलग्नक संख्या सात के रूप में प्रतिलिपि संलग्न है )
इन्ही क्रमों में आगे आपको बताना चाहता हूँ कि मेरा दिवंगत सहोदर/सगा भाई मृतक अभिजीत जिस मकान में रहते हुये मृत पाया गया , उसे खाली करनें , उसका सामान ले जानें हेतु मै दिनाँक 28 मई 2013 को कोल्हापुर आया।
तत्कालीन विवेचना अधिकारी हवलदार श्री सीताराम डोईफोडे व मकान मालिक उदय कुमठेकर की अनुमति , देख-रेख व सहयोग से कुछ सामान , कपड़े , वॉशिंग मशीन , थोड़े बर्तन , बिस्तर , दोनों ट्रॉली बैग , हैंडबैग , कुछ मोबाइल चिप्स , पेनड्राइव आदि लेकर वापस गया।
हवलदार महोदय को मृतक अभिजीत के लैपटॉप चार्जर के साथ-साथ उस रस्सी का टुकड़ा भी सौंपा जिसे मैनें मकान खाली करते समय बरामद किया था , जो मिलान करनें पर हू-ब-हू वही थी , जिसका प्रयोग मृतक अभिजीत के शरीर को लटकाने के लिये किया गया था।
इन्ही क्रमों में यह भी स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैनें तफ्तीश के इरादे से मकान खाली करते समय कई सारे फोटोग्राफ्स , प्रत्येक एंगल से लिये , जिन्हें प्रस्तुत पत्र के साथ आपको सौंप रहा हूँ।
एक और घटना का जिक्र करना जरूरी समझता हूँ कि जब मै तमाम फोटोग्राफ्स लेनें में मशगूल था , तब हमनें यह मार्क किया कि जिस कमरे में मृतक अभिजीत लटके पाये गये थे , उस कमरे के बॉलकनी के दरवाजे के सामनें की बिल्डिंग के फोटोग्राफ्स लेनें पर कुछ "नजरें" , हमें क्रूरता और आक्षेप कि रहस्यमयी मनोदशा से घूर रहीं थीं , अब जबकि मृतक अभिजीत की पेनड्राइव से एक छोटी फिल्म बरामद हुई है तब यह स्पष्ट है कि उन्हें आपत्ति क्यों हो रही थी।
.. क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........भाग -06 ....
--घटना के ध्यानाकर्षण हेतु मुम्बई पुलिस उच्चाधिकारियों को विभिन्न पत्र लिखे गये-- जिन्हें पूर्व में इसी पेज पर दो जून 2016 को ही प्रकाशित किया जा चुका है कृपया संज्ञान में लें
Published On This Page at the Day Of June 2nd, 2016 ·
बाद में केनरा बैंक की तरफ से मेरे पिता जी के पास एक सांत्वना पत्र आया , जिसमें उच्चाधिकारियों नें घटना पर खेद व्यक्त करके सांत्वना दी , अपने होनहार दिवंगत अफसर मृतक अभिजीत की मृत्यु क्यों और कैसे हुई , इसके लिये न कोई जाँच बैठाई न ही ,,,, जाँच एजेन्सियों से कोई आवेदन-प्रतिवेदन किया , न ही तब और न ही अभी तक , मृतक अभिजीत के माता-पिता को किसी तरह की कोई आर्थिक क्षतिपूर्ति या अन्य कोई वित्तीय सहायता दी , निहायत शर्मनाक और निंदनीय व्यवहार रहा केनरा बैंक वित्तीय कारोबारी समूह का । *******************
वर्ष 2013 के मई माह के अंत में मै अपनें एक सहयोगी के साथ कोल्हापुर गया , पुलिस की अनुमति एवं हवलदार डोईफोडे तथा मकानमालिक उदय कुमठेकर की देख-रेख में अभिजीत का कुछ घरेलू सामान (वॉशिंग मशीन, कपड़े, कुछ बर्तन, कागज-पत्र, तथा कुछ पुरानें मोबाईल सिम और चिप तथा पेनड्राइव , देवमूर्तियाँ अन्यादि) ले आया, कुछ वहीं छोड़ दिया। गैस-चूल्हा सिलेंडर जिन लोगों के थे वापस कर दिया, दे दिया । कलर TV को वहीं री-सेल कर दिया । मकान में घुसने और छोड़ने तक तमाम फोटोग्राफ्स लिये, मृतक अभिजीत को लटकाने के लिये उपयोग की गयी नायलॉन की रस्सी कहाँ से आयी थी, उसे बरामद कर के पुलिस को सौंपा । अभी तक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट न डॉक्टर नें तैयार की थी न पुलिस नें प्राप्त की थी । पोस्मॉर्टम करनें वाले डॉक्टर नें मृतक अभिजीत दत्त त्रिपाठी का बिसरा भी सुरक्षित नहीं रखा । पुलिस का रवैया उदासीन था, वे केवल एक ही रट लगाये थे कि मृतक अभिजीत नें सुसाइड किया है जब कि सुसाइड के पीछे वे कोई कारण नहीं बता पा रहे थे ।
पुलिस को अभिजीत की लास्ट चैटिंग डिटेल्स दीं जिनसे यह साफ़ जाहिर था कि उनका आत्महत्या जैसा कोई इरादा नहीं था बल्कि मृत्यु के कुछ घंटे पहले वे दोस्तों से पूरी खुशमिजाजी के साथ चैटिंग कर रहे थे । पुलिस द्धारा जब्त की गयीं वस्तुएं वापस नहीं दी गयीं न ही उन्हें परीक्षण हेतु विशेषज्ञों को दिया गया। ************************* 30 मई 2013 को रात में कोल्हापुर से पुणे , पुनः 31 मई 2013 को पुणे से लखनऊ और फिर 01 मई 2013 को देर शाम में फैजाबाद आ गये । ***********************************
फैजाबाद आकर अभिजीत के कमरे से प्राप्त मोबाइल सिम, चिप, पेन ड्राइव, आदि का परीक्षण करनें पर विस्मयजनक तथ्य सामनें आये । .... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........भाग -05 ....
इंस्पेक्टर रतन सिंह के आने पर , औपराचिकतायें पूरी करनें के बाद अभिजीत की डेड बॉडी लेकर मुम्बई एयरपोर्ट के लिये AC एम्बुलेंस से रवाना हुये।
बृहस्पतिवार 09 मई 2013 को सायं 7:30 बजे मुम्बई एयरपोर्ट कार्गो डिपार्टमेंट में अभिजीत की डेड बॉडी लेकर पहुंचे।
तमाम वैधानिक औपचारिकताओं के पूर्ण होनें के बाद ये कहकर कि डेडबॉडी डि -कम्पोज हो चुकी है एयरपोर्ट अथॉरिटी वालों नें जानें से मना कर दिया।
अंततः फिर एक दूसरी एम्बुलेंस के द्धारा डेडबॉडी को लेकर ओशिवरा पुलिस थाना मुम्बई की अनुमति लेकर ओशिवरा हिन्दू श्मशान भूमि मुम्बई में ही अभिजीत दत्त त्रिपाठी के मृत शरीर का Electric Cremation House में अंतिम संस्कार कर दिया।
रात के लगभग 11-12 बज गये थे तुरन्त वापसी का कोई जरिया नहीं था लिहाजा अगले दिन शुक्रवार 10 मई 2013 को प्रातः 6 बजे , ओशिवरा हिन्दू श्मशान भूमि से अभिजीत दत्त त्रिपाठी की अस्थियां लेकर (विसर्जन व अन्य कर्मकांड हेतु) वापस फैजाबाद आ गये।
-----------घटना के ध्यानाकर्षण हेतु मुम्बई पुलिस उच्चाधिकारियों को विभिन्न पत्र लिखे गये-- जिन्हें पूर्व में इसी पेज पर दो जून 2016 को ही प्रकाशित किया जा चुका है कृपया संज्ञान में लें
Published On This Page at the Day Of June 2nd, 2016 ·.... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........भाग -04
मृतक अभिजीत के कमरे पर बात-चीत का ब्यौरा *********************
प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?
उत्तर -:
बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )
प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-?
उत्तर -: हाँ हुई है।
प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -?
उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं।
प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -?
उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है।
प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -?
उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।
कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -:
प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?
उत्तर -:
बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था।
अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।
प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ?
उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है।
प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?
उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।
प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -?
उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं।
प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-?
उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं।
प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -?
उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये।
प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-?
उत्तर -: अभी तक नहीं।
प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -?
उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।
*************************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता।
मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं)
हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की। किसी नें कुछ भी नहीं बताया न ही नौकरानी का कुछ पता चला।
........ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........हवलदार डोइफोडे नें मेरा (ब्रजेन्द्र दत्त त्रिपाठी S/O श्री सोमदत्त त्रिपाठी एडवोकेट) व मेरे भाई (डाक्टर प्रभात दत्त त्रिपाठी S/O श्री कृष्ण दत्त त्रिपाठी) का बयान लेकर मराठी भाषा में टाइप करके हस्ताक्षर लिया।
इन्स्पेक्टर के आने में अभी विलम्ब था इसलिए हवलदार से अभिजीत का घर देखनें की इच्छा व्यक्त की।
हवलदार डोइफोडे हम दोनों भाइयों (ब्रजेन्द्र दत्त व प्रभात दत्त) एवं कुछ बैंक कर्मियों तथा मकान मालिक उदय कुमठेकर को लेकर मृतक अभिजीत के घर गया।
------- वहां पहुंचने पर घटना का ब्यौरा इस प्रकार दिया गया -
बैंककर्मी गण-------: अभिजीत निहायत ही अनुशाषित , खुशमिजाज व मददगार स्वभाव वाले व्यक्ति थे। 07 मई 2013 को वे रोज की तरह आफिस आये , काम-काज किया , समयानुसार चले गये , उनके व्यवहार में सब-कुछ सामान्य था। न कोई तनाव न परेशानी। मंगलवार को वे नियमित फास्ट रखते थे , हम लोगों के लिये वे परिवार के सदस्य की तरह थे। हममें से कुछ के घरों पर भी आना जाना था।
08 मई, बुधवार 2013 को वे आफिस नहीं आये , बैंक के खजानें की चाभी उनके पास रहती थी इसलिये बैंक में काम-काज शुरू करनें विलम्ब हो रहा था , फोन करनें पर फोन उठ नहीं रहा था , थोड़ी देर बाद फिर हमनें एक सफाई कर्मी को , अभिजीत के घर , उन्हें बुलानें के लिये भेजा , उसनें आकर बताया कि साहब दरवाजा ही नहीं खोल रहे हैं , तब हम-लोगों नें थानें में सूचना देकर हवलदार व मकान-मालिक उदय चंद्रकांत कुमठेकर मोबाइल नंबर - 8087002370 को बुलाया। सब लोग मकान पर आये , पीछे से देखनें पर बालकनी का दरवाजा खुला दिखाई दिया और लाईट जल रही थी , एक आदमी चढ़ा और उसनें बताया कि अभिजीत दत्त त्रिपाठी पँखे से लटके हुये हैं , उसी व्यक्ति को मकान के मुख्य दरवाजे को खोलनें को कहा गया , दरवाजा खुलनें पर सब लोग अंदर आये। क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे ......... ब्रान्च मैनेजर इंग्ले व अन्य 4 व्यक्तियों नें रिसीव किया। हम सभी लोग सीपीआर हॉस्पिटल के पोस्टमॉर्टम डिपार्टमेंट में गये। अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टम हो चुका था , हम लोगों नें डेडबॉडी का चेहरा देखकर पहचान की। वहाँ अनायास ही 2-3 बातें घटित हुई -:
1 . - मेरे मुँह से निकला कि मोना (अभिजीत को घर पे हम लोग मोना बुलाते थे) का चेहरा इतना डरा हुआ सा क्यूँ है -?
2 . - गंध आ रही है -? कहीं ऐसा तो नहीं कि बॉडी खराब हो गयी है -?
3 . - पोस्टमॉर्टम हाउस के वार्ड ब्वाय/अटेन्डेन्ट ने बताया कि इनके पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं मिला, लगता है कि कुछ खाये नहीं थे , पेट में केवल ढेर सारी शराब मिली है। ट्रीटमेंट किया गया है , अभी एक-दो दिन बॉडी खराब नहीं होगी।
वहीं पर हम लोगों नें बैंक वालों से कहकर अखबार मंगवाया , घटना की रिपोर्टिंग अखबार में क्या हुई है -? यह जाननें के लिये। बैंक वालों के बुलानें पर कोई हवलदार डोइफोडे लगभग छह - सवा छह बजे सीपीआर पोस्मॉर्टम हाउस में ही आ गये।
यह पूछनें पर कि क्या प्रक्रिया है -? हम दोनों "अभिजीत" की बॉडी लेकर कितनी देर में निकल पायेंगे -? हवलदार डोइफोडे नें बताया कि शाहूपुरी पुलिस स्टेशन इंस्पेक्टर इंचार्ज रतन सिंह राजपूत , नौ-साढ़े नौ तक आएंगे उसके बाद एक-दो कागजी कार्यवाही पर हस्ताक्षर के बाद आप लोग निकल जाना । क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* बुधवार , 8 मई 2013 को लगभग 12:45 बजे ब्रान्च मैनेजर इंग्ले (मोबाइल नंबर 9823622448) केनरा बैंक लक्ष्मीपुरी , कोल्हापुर का फोन आया कि आपके छोटे भाई अभिजीत दत्त त्रिपाठी नहीं रहे , अपने कमरे (C/O श्री उदयराज चंद्रकान्त कुमठेकर , गेट नंबर 142 A/ 1 नंदनवन पार्क , फ्लैट नंबर 212 , असेम्बली रोड , कोल्हापुर ) में लटके पाये गये । फोन अभिजीत के ही नंबर से आया था ।
मै , (ब्रजेन्द्र दत्त त्रिपाठी S/O श्री सोमदत्त त्रिपाठी एडवोकेट) और मेरा भाई (डाक्टर प्रभात दत्त त्रिपाठी S/O श्री कृष्ण दत्त त्रिपाठी) सूचना प्राप्त होनें के एक घंटे के भीतर कोल्हापुर के लिये रवाना हुये। बृहस्पतिवार , 09 मई 2013 को प्रातः 4:30 बजे कोल्हापुर पहुँच गये।
क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) ...
3 years ago
The Height of Abhijeet Dutt Tripathi was 5 feet and 10 inches having a strong body and was aged only 31 years. He was having a brilliant carrier and also the position holder in his service record. His performance in the service and his behavior with the bank officials, customers, neighbors was always excellent. He uses to live in cheerful mood and make a smiling atmosphere everywhere. He was bachelor and the financial condition of the family is also very strong. Abhijeet Dutt Tripathi was never asked to give money but whenever he came to his native place, whatever gift he want to gift his younger’s and elders was only different things. Thus, there was no such family problem or anything which has created worries to Abhijeet Dutt Tripathi. Nothing is in our knowledge as such situation also suggests there is no reason to commit suicide.
- :: It is to be noted that height of the room of incidence was not sufficient and in no way a person having a height of 5 feet and 10 inches commit suicide over insufficient roof height. This is a strong reason of my belief that case of suicide has been concocted and manipulated.
-- ::: It is also to be noted that in the entire flat there was no stool, chair or anything over which one can ride to reach a bigger height. The only material for riding is the trolley bags which were empty and the chain of trolley bag was also not locked when inspection of spot has been carried out. In this situation there is less possibility of using trolley bags for riding and reaching upwards to the fan fitted at the roof of the room. So this aspect needs consideration how one could reach to the height of fan fitted on the roof. ...
4 years ago
मृतक अभिजीत की फोटो , घटना स्थल पर पुलिस नें खिंचवाई ( फोटो का बिल, पोस्मॉर्टम हॉउस का बिल , ताबूत का बिल , एम्बुलेन्स का बिल , फोटोकॉपी , मृतक के शव की पैकिंग और आवा-जाही आदि छोटे-बड़े सभी तरह के खर्चों का बिल , सब जोड़कर ब्रांच मैनेजर इंग्ले नें दिखाया और मुझसे भुगतान प्राप्त किया ) , पूंछने पर यह बताया गया था कि ट्रॉली बैग के ऊपर चढ़कर , मृतक अभिजीत लटके हुये थे , जबकि घटना स्थल पर खींची गयी फोटो में साफ दिखाई दे रहा है कि मृतक अभिजीत के दोनों पैर मुड़े हुये हैं , जमीन से छू रहे हैं , क्या इस प्रकार से आत्महत्या की जा सकती है -? ...