Justice For Abhijeet Mona
अप्राकृतिक मृत्यु (unnatural death) की सूचना मिलने पर पुलिस द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया-1. प्राप्त सूचना को थाने की general diary में दर्ज करें,2. थाना प्रभारी scene of crime के लिए रवाना हो और उसे सुरक्षित करे,3. मौके पर पहुंच कर आवश्यकता अनुसार forensic team को बुलाये, photography और videography कराये,4. मौके पर inquest दर्ज करे, शव का पंचनामा बनाये, और चोटों का विवरण लेख करते हुए मौत का सम्भावित कारण लिखे,5. यदि परिस्थितियां murder की और इंगित करती हैं तो हत्या का अपराध दर्ज कर investigation प्रारंभ करे,6. अन्यथा, शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे और डॉक्टर से death का कारण ज्ञात करे। यदि प्रकरण homicidal पाया जाता है तो शीघ्र short post mortem रिपोर्ट प्राप्त कर offence दर्ज करे, और7. यदि प्रकरण homicidal nature का नहीं पाया जाता तो मृत्यु के कारणों की जांच प्रारंभ करे।8. उक्त प्रक्रिया #CrPC एवं #BNSS में एक समान है।
#KolkataDoctorDeath मामले में ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। हाइकोर्ट राज्य सरकार पर सवाल उठा रहा है। .... मामले की जांच पुलिस से लेकर CBI को सौंपा जा चुका है। औरममता बनर्जी प्रोटेस्ट मार्च कर रही हैं ! है न अजीब बात !
लंका हर युग में घिरती जलती है, रावणों का उच्छेद होकर रहता है, यही सत्य हर युग कहता है !
........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/ ..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ? उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है ।प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -? उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं ।प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-? उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं ।प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -? उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये ।प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-? उत्तर -: अभी तक नहीं ।प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -? उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।******************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता । मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं) हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की किसी नें कुछ भी नहीं बताया न ही नौकरानी का कुछ पता चला । पूरी घटना जाननें के लिये सबसे ऊपर दिये गये लिंक पर जाकर जस्टिस फॉर अभिजीत - मोना पेज का अध्ययन कीजिये
अभिजीत की मृत्यु कोई आत्महत्या नहीं थी बल्कि एक सोची समझी साजिश थी COMPLAINT IN RESPECT OF THE CRIME REGISTERED AT POLICE STATION SHAHUPURI KOLHAPUR ON 07.05.2013 UNDER SECTION CRPC 174 BEARING NO. A.M.R. 49 /2013.हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी , मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के विषय में ध्यान देने योग्य तथ्य ---------(1).-: कागजात की छान-बीन करनें पर ऐसा लगता है कि तारीख 08:05:2013 को सायं 08:50 बजे डॉक्टर संतोष मोरे को मृतक अभिजीत की डेडबॉडी मिली , रात्रि 09:00 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू किया गया , रात्रि 10:00 बजे पोस्टमॉर्टम खत्म हो गया। ######### अब ध्यान दीजिये कि ---: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार मृतक अभिजीत की मृत्यु दिनांक - 07:05:2013 को रात्रि में ही हो गयी होगी , अन्य लोगों , पुलिस तथा बैंक कर्मियों को दूसरे दिन दिनाँक 08:05:2013 को दिन में 11:00 बजे के आस-पास पता लग गया था , अब प्रश्न ये उठता है कि पोस्टमॉर्टम में इतनी अधिक देरी क्यों हुई / की गई।(2).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में Date of Death और Time of Death का कोई जिक्र नहीं है।(3).-: रस्सी मृतक अभिजीत के गले में किस तरह बँधी थी , बॉडी के साथ थी या नहीं थी , रस्सी Examine की गयी या नहीं , इसका कोई जिक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है।(4).-: मृतक अभिजीत के कोई भी सगे-संबंधी , अभिन्न मित्र अथवा परिवार का कोई सदस्य आदि वहाँ मौके पर उपस्थित नहीं थे , संदेहास्पद मृत्यु होनें के बाउजूद मृतक अभिजीत का बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया।(5).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जगह-जगह AS Per Request लिखा हुआ है , इसका क्या निहितार्थ है , आखिर ये Request कौन और क्यों कर रहा था।(6).-: लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी ########ध्यान दीजिये -----:::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है , और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं , तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं।........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/
पत्र की तारतम्यता से अलग हटकर यह भी बताना चाहता हूँ कि किन्ही संयोगवश , सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई , उन्होंने कहा कि -:"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है , इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ। अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है , कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे , फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब , जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये , उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें।यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी , मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के विषय में ध्यान देने योग्य तथ्य ---------(1).-: कागजात की छान-बीन करनें पर ऐसा लगता है कि तारीख 08:05:2013 को सायं 08:50 बजे डॉक्टर संतोष मोरे को मृतक अभिजीत की डेडबॉडी मिली , रात्रि 09:00 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू किया गया , रात्रि 10:00 बजे पोस्टमॉर्टम खत्म हो गया। ######### अब ध्यान दीजिये कि ---: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार मृतक अभिजीत की मृत्यु दिनांक - 07:05:2013 को रात्रि में ही हो गयी होगी , अन्य लोगों , पुलिस तथा बैंक कर्मियों को दूसरे दिन दिनाँक 08:05:2013 को दिन में 11:00 बजे के आस-पास पता लग गया था , अब प्रश्न ये उठता है कि पोस्टमॉर्टम में इतनी अधिक देरी क्यों हुई / की गई।(2).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में Date of Death और Time of Death का कोई जिक्र नहीं है।(3).-: रस्सी मृतक अभिजीत के गले में किस तरह बँधी थी , बॉडी के साथ थी या नहीं थी , रस्सी Examine की गयी या नहीं , इसका कोई जिक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है।(4).-: मृतक अभिजीत के कोई भी सगे-संबंधी , अभिन्न मित्र अथवा परिवार का कोई सदस्य आदि वहाँ मौके पर उपस्थित नहीं थे , संदेहास्पद मृत्यु होनें के बाउजूद मृतक अभिजीत का बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया।(5).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जगह-जगह AS Per Request लिखा हुआ है , इसका क्या निहितार्थ है , आखिर ये Request कौन और क्यों कर रहा था।(6).-: लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी ########ध्यान दीजिये -----:::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है , और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं , तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं।........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/
पत्र की तारतम्यता से अलग हटकर यह भी बताना चाहता हूँ कि किन्ही संयोगवश , सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई , उन्होंने कहा कि -:"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है , इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ। अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है , कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे , फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब , जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये , उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें।यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी , मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के विषय में ध्यान देने योग्य तथ्य ---------(1).-: कागजात की छान-बीन करनें पर ऐसा लगता है कि तारीख 08:05:2013 को सायं 08:50 बजे डॉक्टर संतोष मोरे को मृतक अभिजीत की डेडबॉडी मिली , रात्रि 09:00 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू किया गया , रात्रि 10:00 बजे पोस्टमॉर्टम खत्म हो गया। ######### अब ध्यान दीजिये कि ---: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार मृतक अभिजीत की मृत्यु दिनांक - 07:05:2013 को रात्रि में ही हो गयी होगी , अन्य लोगों , पुलिस तथा बैंक कर्मियों को दूसरे दिन दिनाँक 08:05:2013 को दिन में 11:00 बजे के आस-पास पता लग गया था , अब प्रश्न ये उठता है कि पोस्टमॉर्टम में इतनी अधिक देरी क्यों हुई / की गई।(2).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में Date of Death और Time of Death का कोई जिक्र नहीं है।(3).-: रस्सी मृतक अभिजीत के गले में किस तरह बँधी थी , बॉडी के साथ थी या नहीं थी , रस्सी Examine की गयी या नहीं , इसका कोई जिक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है।(4).-: मृतक अभिजीत के कोई भी सगे-संबंधी , अभिन्न मित्र अथवा परिवार का कोई सदस्य आदि वहाँ मौके पर उपस्थित नहीं थे , संदेहास्पद मृत्यु होनें के बाउजूद मृतक अभिजीत का बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया।(5).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जगह-जगह AS Per Request लिखा हुआ है , इसका क्या निहितार्थ है , आखिर ये Request कौन और क्यों कर रहा था।(6).-: लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी ########ध्यान दीजिये -----:::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है , और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं , तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं।........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/
सुशांत मामले की जांच सीबीआई को चूँकि वो फिल्मस्टार और सेलिब्रिटी थे.................................................देश की आज यही लीड खबर है🙄तो बताइए की कोल्हापुर में इस सनसनीखेज और जघन्य अपराध के दोषियों को सजा कब मिलेगी.........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर मेंहुये इस सनसनीखेज और जघन्य अपराध केदोषियों को सजा कब मिलेगीJustice For Abhijeet - Mona
सुशांत मामले की जांच सीबीआई को चूँकि वो फिल्मस्टार और सेलिब्रिटी थे .................................................देश की आज यही लीड खबर है🙄तो बताइए की कोल्हापुर में इस सनसनीखेज और जघन्य अपराध के दोषियों को सजा कब मिलेगी .........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।
लड़ाई खिंच रही हैतो मायूस मत होनासजा हर एक गुनेहगार को दिलाऊंगा पुलिस, सीबीआई या अदालत Shahupuri PS, Kolhapur, AD No. -: 49/2013
Justice For Abhijeet - Mona पर विज़िट करने वाले लोगों यह बताइये कि कोल्हापुर में हुई मर्डर मिस्ट्री मेंदोषियों को सजा कैसे मिले
जिस दिन महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर जनपद में ऐसी / ऐसा ईमानदार और जुझारू जज्बे वाली / वाला आई पी एस अफसर चार्ज ले लेगा उसी दिन Abhijeet Dutt Tripathi को न्याय मिलने की प्रक्रिया शुरू होगी और सभी लोग सजा पायेंगें Justice For Abhijeet - Mona
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.........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ? उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है ।प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -? उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं ।प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-? उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं ।प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -? उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये ।प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-? उत्तर -: अभी तक नहीं ।प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -? उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।******************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता । मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं) हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की किसी नें कुछ भी नहीं बताया न ही नौकरानी का कुछ पता चला । पूरी घटना जाननें के लिये सबसे ऊपर दिये गये लिंक पर जाकर जस्टिस फॉर अभिजीत - मोना पेज का अध्ययन कीजिये
मुझे पूरी उम्मीद है किन्याय मिलेगावैसे भी केस को आधार देने वाले तथ्य साइबर दुनिया के हैंजो युगों-युगों तक मिटाये नहीं जा सकते--
.........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये.......Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.facebook.com/justiceforabhijeet/ ..........................................प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?उत्तर -: बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-? उत्तर -: हाँ हुई है ।प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -? उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं ।प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -? उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है ।प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -? उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -: प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?उत्तर -: बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था ।अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ? उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है ।प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -? उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं ।प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-? उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं ।प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -? उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये ।प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-? उत्तर -: अभी तक नहीं ।प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -? उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।******************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता । मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं) हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की किसी नें कुछ भी नहीं बताया न ही नौकरानी का कुछ पता चला । पूरी घटना जाननें के लिये सबसे ऊपर दिये गये लिंक पर जाकर जस्टिस फॉर अभिजीत - मोना पेज का अध्ययन कीजिये
लड़ाई खिंच रही हैतो मायूस मत होनासजा हर एक गुनेहगार को दिलाऊंगा पुलिस, सीबीआई या अदालत Shahupuri PS, Kolhapur, AD No. -:49/2013
जिस कमरे में मृतक अभिजीत लटके पाये गये थे , उस कमरे के बॉलकनी के दरवाजे के सामनें की बिल्डिंग के फोटोग्राफ्स लेनें पर कुछ "नजरें" , हमें क्रूरता और आक्षेप कि रहस्यमयी मनोदशा से घूर रहीं थीं , अब जबकि मृतक अभिजीत की पेनड्राइव से एक छोटी फिल्म बरामद हुई है तब यह स्पष्ट है कि उन्हें आपत्ति क्यों हो रही थी।.. क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........भाग -07 ....फैजाबाद आकर अभिजीत के कमरे से प्राप्त मोबाइल सिम, चिप, पेन ड्राइव, आदि का परीक्षण करनें पर विस्मयजनक तथ्य सामनें आये ।अक्टूबर 2013 में मै पुनः कोल्हापुर गया , तमाम फोटोग्राफ्स और अन्यान्य सुबूत के साथ एक विस्तृत प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया जिसका मजमून इस प्रकार है-:दिनांक -: 11:10:2013सेवा में ,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकजिला -: कोल्हापुर , महाराष्ट्र(भारत)विषय -: शाहूपुरी पुलिस स्टेशन में दिनांक 8 मई 2013 को दर्ज की गयी FIR संख्या 49/2013 (तत्सम्बन्धित आवश्यक प्रपत्र संलग्नक संख्या एक से सात के रूप में संलग्न हैं)महोदय ,,उपरोक्त विषय सन्दर्भ में निवेदन है कि पूर्व में मेरे पिता श्री सोमदत्त त्रिपाठी द्धारा , आपको भेजे गये पत्र में सिलसिलेवार ढंग से घटनाक्रम का विश्लेषण करते हुये , आपेक्षित कार्यवाहियों माँग की गयी थी , तत्सम्बन्धित पत्र उच्चाधिकारियों को भी प्रेषित किये गए थे। (संलग्नक संख्या सात के रूप में प्रतिलिपि संलग्न है )इन्ही क्रमों में आगे आपको बताना चाहता हूँ कि मेरा दिवंगत सहोदर/सगा भाई मृतक अभिजीत जिस मकान में रहते हुये मृत पाया गया , उसे खाली करनें , उसका सामान ले जानें हेतु मै दिनाँक 28 मई 2013 को कोल्हापुर आया।तत्कालीन विवेचना अधिकारी हवलदार श्री सीताराम डोईफोडे व मकान मालिक उदय कुमठेकर की अनुमति , देख-रेख व सहयोग से कुछ सामान , कपड़े , वॉशिंग मशीन , थोड़े बर्तन , बिस्तर , दोनों ट्रॉली बैग , हैंडबैग , कुछ मोबाइल चिप्स , पेनड्राइव आदि लेकर वापस गया।हवलदार महोदय को मृतक अभिजीत के लैपटॉप चार्जर के साथ-साथ उस रस्सी का टुकड़ा भी सौंपा जिसे मैनें मकान खाली करते समय बरामद किया था , जो मिलान करनें पर हू-ब-हू वही थी , जिसका प्रयोग मृतक अभिजीत के शरीर को लटकाने के लिये किया गया था।इन्ही क्रमों में यह भी स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैनें तफ्तीश के इरादे से मकान खाली करते समय कई सारे फोटोग्राफ्स , प्रत्येक एंगल से लिये , जिन्हें प्रस्तुत पत्र के साथ आपको सौंप रहा हूँ।एक और घटना का जिक्र करना जरूरी समझता हूँ कि जब मै तमाम फोटोग्राफ्स लेनें में मशगूल था , तब हमनें यह मार्क किया कि जिस कमरे में मृतक अभिजीत लटके पाये गये थे , उस कमरे के बॉलकनी के दरवाजे के सामनें की बिल्डिंग के फोटोग्राफ्स लेनें पर कुछ "नजरें" , हमें क्रूरता और आक्षेप कि रहस्यमयी मनोदशा से घूर रहीं थीं , अब जबकि मृतक अभिजीत की पेनड्राइव से एक छोटी फिल्म बरामद हुई है तब यह स्पष्ट है कि उन्हें आपत्ति क्यों हो रही थी।.. क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )
मृतक अभिजीत के कमरे पर घटना वाली रात कुछ लोग आये , जिन्हें शायद, "वे" जानते-पहचानते भी रहे होंगे , बात-चीत यूं ही शुरू हुई होगी , बाद में परिणिति कुछ और हो गयी , "उन्हें" जिस किसी भी तरह से अनकांशस किया गया , कहीं बच न जायें , इस डर से , आनन-फानन में , रस्सी खोजकर लटकाया गया , उन लोगों नें कागज या फोटोग्राफ जैसी कोई चीज लैट्रिन में जलायी भी , लेकिन हड़बड़ी में उस पर पानी नहीं डाला , भागते समय एक को छोड़ कर , बाकी लोग मुख्य द्धार से गये , कोई एक आदमी मुख्य द्धार बंद करके , लाइटें बुझाकर , बॉलकनी के दरवाजे से नीचे उतरा, तारतम्यता से अलग हटकर यह भी बताना चाहता हूँ कि किन्ही संयोगवश , सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई , उन्होंने कहा कि -:"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है , इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ। अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है , कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे , फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब , जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये , उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें।यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी , मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है । 6 मई 2013 उसकी आख़िरी रात थी 7 मई 2013 को उसे मार डाला गया मोनाआआआ तुमको न भूल पायेंगें, www.hash.ly/0014X
प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?उत्तर -:बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-?उत्तर -: हाँ हुई है।प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -?उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं।प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -?उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है।प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -?उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -:प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?उत्तर -:बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था।अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ?उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है।प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -?उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं।प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-?उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं।प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -?उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये।प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-?उत्तर -: अभी तक नहीं।प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -?उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।*************************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता।मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं)हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की ।.........पूरी घटना जाननें के लिये पेज पर जाइये और Please Like and Invite your friends to Like the Page-: Justice For Abhijeet - Mona Link- www.hash.ly/0014Xस्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .........भाग -04मृतक अभिजीत के कमरे पर बात-चीत का ब्यौरा *********************प्रश्न -: मैनें कहा वे लटके कैसे-?उत्तर -:बताया गया कि दो ट्रॉली बैग के सहारे। (मैनें, अमेरिकन टूरिस्टर के दोनों ट्रॉली बैग जो खुले हुये सामनें ही थे उन्हें देखा तो एक में दो जोड़ी कपड़े एक में तीन-चार टीशर्ट मात्र थे जो अगर एक-के-ऊपर-एक भी रखे जायें तो भी दब ही जायेंगे , उसे उन सब को दिखाकर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा )प्रश्न-: क्या फोटोग्रॉफी हुई है-?उत्तर -: हाँ हुई है।प्रश्न-: लैपटॉप और मोबाइल कहाँ गये -?उत्तर-: सर ! वो पुलिस के कब्जे में हैं।प्रश्न-: और उनका पर्स वगैरह -?उत्तर-: सर ! वो भी पुलिस के कब्जे में है।प्रश्न-: उसनें पहन क्या रखा था -?उत्तर -: सर ! नाइट वियर्स (नेकर व टीशर्ट) पहन रखे थे।कमरे में दो शराब की बोतलें दिखीं , वॉशिंग मशीन पर लाइटर व सिगरेट की डिब्बी दिखी तो मैंने पूछा -:प्रश्न-: क्या अभिजीत डेली ड्रिंकर व रेगुलर स्मोकर थे -?उत्तर -:बताया गया कि सिगरेट पीते थे, लेकिन चेन स्मोकर या रेगुलर स्मोकिंग जैसी कोई बात नहीं थी , कभी-कभी ड्रिंक करते थे लेकिन मंगलवार को उनका फास्ट होता था इसलिये नहीं पीते थे , परसों यानि 07मई को मंगलवार था इसलिये पीनें का सवाल नहीं , पहले हम लोगों का वीक में एक दिन शनिवार को यहां के ट्रेडिशन के हिसाब से जरूर ड्राई डे रहता था , चूँकि नार्थ में ड्राई डे मंगलवार होता है इसलिये जब से अभिजीत जी आये थे हम सभी लोगों का मंगलवार और शनिवार दोनों ड्राई डे रहता था। अब सवाल यह उठता है कि यदि मंगलवार को शराब नहीं पीते थे तब पोस्टमॉर्टेम कर्मी नें ये क्यों कहा था कि " साहब शरीर में केवल शराब ही मिली है।प्रश्न-: क्या अभिजीत अकेले रहते थे - ?उत्तर-: कुछ दिन पहले तक उनका एक पार्टनर विपिन कुमार (मोबाइल नंबर 9888040304 ) था अब वो ट्रांसफर हो गया है।प्रश्न-: घरेलू कामकाज के लिये उनके पास नौकरानी थी , क्या उसनें कुछ बताया -?उत्तर -: नहीं , अभी कोई बात नहीं हुई है।प्रश्न-: रस्सी कौन सी थी-? कहाँ से आयी -?उत्तर -: नायलॉन की रस्सी थी कहाँ से आयी ये पता नहीं।प्रश्न-: क्या सभी पुलिसिया कार्यवाही पूरी की गयी हैं-?उत्तर-: हाँ ! की गयी हैं।प्रश्न-: बैंक की चाभी कहाँ गयीं -?उत्तर -: वो बैंक वाले ले गये।प्रश्न -: क्या कोई गौरतलब चीज मिली-?उत्तर -: अभी तक नहीं।प्रश्न-: क्या कोई झगड़ा , विवाद , तनाव दिखाई पड़ा था -?उत्तर-: नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी।*************************** लैंडलॉर्ड / हॉउस ओनर उदय चंद्रकांत कुमठेकर नें कहा कि " अभिजीत जी बेहद मिलनसार व शांत स्वभाव वाले , बातचीत में साफगोई पसंद व्यक्ति थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ मैं कुछ नहीं कह सकता।मकान की वस्तुस्थिति , बाद में मेरे द्धारा लिये गये फोटोग्राफ्स से स्पष्ट हो सकती है। (जो सभी पुलिस को सौपें जा चुके हैं)हम सभी मकान से बाहर आ गये , मेरे पास भाषा की भी कठिनाई थी , पास-पड़ोस , अगल-बगल बहुत कुछ पूछनें की कोशिश की। किसी नें कुछ भी नहीं बताया न ही नौकरानी का कुछ पता चला। ........ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )
किन्ही संयोगवश, सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई, उन्होंने कहा कि -:"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है, इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ । अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है, कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे, फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब, जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये, उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें । लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी :::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है, और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं, तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं ।
Yakeen Rakho, Saja Sabko Milegi, Bas Thoda Aur Intezaar..... 9910213237
मोना तुम जहां भी हो सुख से रहो । शरीर के नष्ट होनें के बाद भी यात्रा चलती ही रहती है युग बीतते जाते हैं आत्मा तमाम पहनावे, पहनकर, उतारती रहती है, युगों के तदनन्तर युग बदलते रहते हैं किन्तु यात्रा तभी थमती है जब पिछली अनन्त यात्राओं के कोटि-कोटि संस्कार लुप्त हो जायें, संस्कारों के लुप्त होने का एक ही उपाय है आग्रहों-आकांक्षाओं से छुटकारा पा लेना, और छुटकारा हो जाये इसका भी एक ही उपाय है, स्वीकार, स्वीकार परमात्मा की तमाम इच्छाओं के प्रति, स्वीकार अपने वर्तमान जीवन के संघर्षों के प्रति, स्वीकार तमाम सारी उलाहनाओं - यात्राओं और कष्टों के प्रति , स्वीकार अभीप्साओं के नष्ट होने के प्रति, स्वीकार तमाम सारे स्वप्नों, जीवन और संसार के नष्ट होने के प्रति ।जब स्वीकार इतना अधिक गहन हो जायेगा, तब समस्त प्रकार के संस्कार अपने समग्र रूप में नष्ट ही हो जायेंगे और तब मुक्ति ही एक परम प्रतिफल है । यह अलग विषय है की मुक्ति के बाद एकमात्र मुक्ति ही बचती है शेष सब का लोप हो जाता है । तुम्हारी अनन्त यात्राओं के लिये ईश प्रार्थना और शुभकामनायें ।मेरी लड़ाई जारी है, ये नहीं कहूंगा की तुम्हारे लिये लड़ रहा हूँ, लेकिन जो लड़ाइयां लड़ रहा हूँ उसमें एक का करण और कारण तुम ही हो और हाँ यदि जीवन अकस्मात भी चुक गया तो भी लड़ाई को इतना विस्तारित कर चुका होऊंगा कि समय इस लड़ाई को एक सही अंजाम दे ही देगा.....और क्या लिखूं बेटा ! ये भी तो नहीं कह सकता कि चिरंजीवी होओ । चलो कहता हूँ मुक्त होओ बेटा । दिल की हर धड़कन पर तुम्हे याद रखने वालातुम्हारा बड़ा भाई Brajendra.................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) .
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे ..............................भाग -14 ...................###### फोटो जो घटना स्थल पर खींची गयीं थीं उनका सच ########मृतक अभिजीत की फोटो , घटना स्थल पर पुलिस नें खिंचवाई ( फोटो का बिल, पोस्मॉर्टम हॉउस का बिल, ताबूत का बिल, एम्बुलेन्स का बिल, फोटोकॉपी, मृतक के शव की पैकिंग और आवा-जाही आदि छोटे-बड़े सभी तरह के खर्चों का बिल, सब जोड़कर ब्रांच मैनेजर इंग्ले नें दिखाया और मुझसे भुगतान प्राप्त किया ) पूंछने पर यह बताया गया था कि ट्रॉली बैग के ऊपर चढ़कर, मृतक अभिजीत लटके हुये थे, जबकि घटना स्थल पर खींची गयी फोटो में साफ दिखाई दे रहा है कि मृतक अभिजीत के दोनों पैर मुड़े हुये हैं, जमीन से छू रहे हैं, क्या इस प्रकार से आत्महत्या की जा सकती है -?...................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें ) .
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ******************** गतांक से आगे ......................भाग -13 ............... -------------------------***** Truth , Allegation & My Hope about this Murder Mystery ********-------------------- पुलिस चाहे तो अभिजीत दत्त त्रिपाठी की मृत्यु का सच सामनें आ सकता है, परिस्थितिजन्य साक्ष्य इतनें महत्वपूर्ण हैं कि सारा रहस्य सामनें आ सकता है, कहावत है जब कोई सुबूत न हों तब अपराधी का Confession ही सबसे बड़ा सुबूत है, इस केस में कड़ियाँ उलझीं जरूर हैं पर सामनें हैं, पुलिस की मजबूत इच्छाशक्ति और सख्ती से सभी संदेहास्पद आरोपी अपना अपराध क़ुबूल कर लेंगे ।-- मृतक अभिजीत का पोस्मॉर्टम करनें वाले डॉक्टर नें अभिजीत दत्त त्रिपाठी की डेडबॉडी की फोटो देखकर ( जो मृत्यु के उपरान्त बैंक कर्मियों द्धारा खिंचवाई गयी थी, जिसके बिल का भुगतान मैनें किया ) रटी - रटाई मनगढंत और झूठी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाई ।-- डॉक्टर की साजिश थी कि मृतक अभिजीत दत्त त्रिपाठी का शरीर घर तक न पहुंचने पाये, डॉक्टर यह भलीं-भांति जानते थे कि डेडबॉडी बुरी तरह डिकम्पोज हो जायेगी और आनन-फानन में अंतिम संस्कार करना पड़ेगा, तथा डेडबॉडी जल जानें के बाद कोई सुराग हाँथ नहीं लगेगा । डॉक्टर से कड़ी पूछ-ताछ में सच्चाई सामनें आ सकती है ।-- पूरे घटनाक्रम में कुछ लोग रहे होंगे, जो साक्ष्य मिटानें व मामले को आत्महत्या का रूप देकर रफा-दफा करनें में लगे थे । डॉक्टर, साफतौर पर गुनहगार हैं जिनके माध्यम से अन्य मुख्य अपराधियों तक पहुंचा जा सकता है ।........................ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********************** गतांक से आगे ....................भाग -12 ...............मृतक अभिजीत दत्त त्रिपाठी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के विषय में ध्यान देने योग्य तथ्य ---------(1).-: कागजात की छान-बीन करनें पर ऐसा लगता है कि तारीख 08:05:2013 को सायं 08:50 बजे डॉक्टर को मृतक अभिजीत की डेडबॉडी मिली, रात्रि 09:00 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू किया गया, रात्रि 10:00 बजे पोस्टमॉर्टम खत्म हो गया । ######### अब ध्यान दीजिये कि ---: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार मृतक अभिजीत की मृत्यु दिनांक - 07:05:2013 को रात्रि में ही हो गयी होगी, अन्य लोगों, पुलिस तथा बैंक कर्मियों को दूसरे दिन दिनाँक 08:05:2013 को दिन में 11:00 बजे के आस-पास पता लग गया था, अब प्रश्न ये उठता है कि पोस्टमॉर्टम में इतनी अधिक देरी क्यों की गई ।(2).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में Date of Death और Time of Death का कोई जिक्र नहीं है ।(3).-: रस्सी मृतक अभिजीत के गले में किस तरह बँधी थी, बॉडी के साथ थी या नहीं थी, रस्सी Examine की गयी या नहीं, इसका कोई जिक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है ।(4).-: मृतक अभिजीत के कोई भी सगे-संबंधी, अभिन्न मित्र अथवा परिवार का कोई सदस्य आदि वहाँ मौके पर उपस्थित नहीं थे, संदेहास्पद मृत्यु होनें के बाउजूद मृतक अभिजीत का बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया ।(5).-: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जगह-जगह AS Per Request लिखा हुआ है, इसका क्या निहितार्थ है, आखिर ये Request कौन और क्यों कर रहा था ।(6).-: लिखते हैं कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिनाँक 08:05:2013 को बनी और पुलिस को दे दी गयी ######## ध्यान दीजिये -----:::::: सच्चाई यह है कि मृतक अभिजीत की पोटमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लगभग 40-45 दिनों बाद दी गयी है । हवलदार सीताराम डोईफोडे मोबाइल नंबर 9823511725 से इस बात की पुष्टि की जा सकती है, और यदि हवलदार साहब ये सच बतानें से इन्कार करते हैं, तब इसका सीधा आशय यह है कि वे भी इस बड़े षड्यंत्र में पूरी तरह लिप्त हैं ।-........................ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********************* गतांक से आगे ................भाग -11 ....................जिस, महिला को तत्समय शाहूपुरी पुलिस स्टेशन लाया गया था, उनका कोई बयान पत्रावली में उपलब्ध नहीं मिला न ही कोई ऐसा संतोषजनक तात्पर्य कि उन्हें क्यों छोड़ दिया गया--?2 .-- पुलिस के पास जब्त सामान दो मोबाइल, लैपटॉप, मृतक अभिजीत का पर्स (जिसमें केवल पचास रुपये का एक नोट और दो-चार सिक्के तमाम डेबिट-क्रेडिट कार्ड थे ) प्राप्त किये, मोबाइल और लैपटॉप के कम्प्लीट डाटा की सीडी बनवाकर विवेचना अधिकारी को दे दिया ।3 . -- कोल्हापुर म्युनिसिपल बोर्ड के पास अभिजीत दत्त त्रिपाठी की मृत्यु का कोई अभिलेख अथवा जानकारी उपलब्ध नहीं थी, लिहाजा उन्होंने अनअवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट बनाकर हमें दे दिया (स्थानीय पार्षद नें मदद की) और मृत्यु प्रमाण पत्र प्रदान किये जानें के लिये मजिस्ट्रेट के आदेश की प्रस्तुति के लिये कहा गया ।म्युनिसिपल बोर्ड ने बताया कि सामान्यतया पोस्टमॉर्टम करनें वाला डॉक्टर, निर्धारित प्रारूप पर मृतक का विवरण अस्पताल से म्युनिसिपल बोर्ड को भेज देता है, परंतु प्रस्तुत प्रकरण में अस्पताल द्धारा, म्युनिसिपल बोर्ड को कोई विवरण नहीं भेजा गया है ।अंततः वहाँ के एक स्थानीय एडवोकेट को मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिये जरूरी कागजात दे दिया (एक चचेरे भाई दीपक जो उस समय वहीं पोस्ट थे उनसे पैरवी करने का वचन लिया , कागजात का एक सेट उन्हें भी सौंपा आश्वस्त हुआ) और इस आश्वासन के साथ कि थोड़े दिनों में कागज - बनकर मिल जायेगा , पुलिस से प्राप्त सामान के साथ मै वापस आ गया ।---ध्यान देनें योग्य आवश्यक बिंदु -----:अभिजीत के कमरे से स्त्रियों की सौन्दर्य प्रसाधन सामाग्री मिलनें से यह बलवती संभावना है कि कोई तो अभिजीत के कमरे पर आती-जाती थी, कामवाली नौकरानी से गहन पूँछ-तांछ करनें पर बहुत सी बातें साफ़ हो सकती हैं । -- (A) abhijeetdutt@gmail.com (B) gettoadt@yahoo.com (C) iamabhijeet@rediffmail.com (D) abhijeetdutt@canarabank.com ये चारों अभिजीत की मेल आईडी हैं शायद इन्हें खंगालने पर महत्वपूर्ण सूत्र मिलें ।...................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ******************* गतांक से आगे .................. भाग -10 ...................मै, अपने सगे/सहोदर भाई मृतक अभिजीत दत्त त्रिपाठी के दिवँगत होनें के बाद पूरे प्रकरण पर नए सिरे से रोशनी डालकर आपको विभिन्न सूत्रों/तथ्यों से अवगत करा रहा हूँ । यदि मेरा भाई गलत था तो उसे सजा मिल गयी, लेकिन उसकी गलती में जो भी बराबर के भागीदार लोग हैं, उन्हें भी कानूनन सजा मिलनी चाहिये, ऐसे ही संतुलित न्याय की आशा में आपको सच से अवगत करानें का प्रयास कर रहा हूँ ।अत्याधुनिक साइबर युग में जो भी तथ्य हैं वे अमिट हैं बस केवल गहन पड़ताल की जरूरत है , जरूर ऐसा स्पष्ट कारण मिल सकेगा जिससे कि यह पता चले कि अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या/मृत्यु अकारण नहीं है ।आईपीएस ज्योति प्रिया सिंह को रूबरू मिलकर पत्र देकर अपनी वेदना से अवगत कराया, तदुपरांत उनके द्धारा निर्देश जारी करनें के उपरान्त शाहूपुरी पुलिस स्टेशन के इंचार्ज इन्स्पेक्टर नें तेजी . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . इंचार्ज इंस्पेक्टर को जो अन्यान्य सुबूत और पत्र सौपें, उनकी रिसीविंग तो उनके द्धारा नहीं दी गयी, परंतु आपेक्षित तेजी प्रदर्शित की गयी थी, इंचार्ज इंस्पेक्टर नें ठोस आश्वासन दिया कि वे विवेचना को विधिवत आगे बढायेंगे, मेरी वापसी की ट्रेन का समय हो गया था, इसलिये मै उनकी सदाशयता पर संतुष्ट होकर वापस चला आया ।1 . - विवेचना की प्रगति जाननें के लिये 2 . - पुलिस के पास जब्त सामानों लैपटॉप व मोबाइल आदि को प्राप्त करनें एवं 3 .- कोल्हापुर म्युनिसिपल बोर्ड से मृतक अभिजीत दत्त का डेथ सर्टिफिकेट लेनें दिनांक 07 फरवरी 2015 को कोल्हापुर गया सौभाग्यवश अबकी भी महाराष्ट्र पुलिस सेवा में वरिष्ठतम आईपीएस आईजी का रेफरेंस मेरे साथ था, किन्तु वहाँ -----1 .-- विवेचना में कोई विशेष प्रगति हुई ही नहीं थी, मृत्यु के समय अभिजीत के पास तीन मोबाइल नंबर कार्यरत थे,(A) .-- Reliance Postpaid CDMA Mobile No . - 9370965171(B). -- Uninor Prepaid No . - 7841096031(C). -- Tata GSM No . - 8087596638उपरोक्त तीनों मोबाइल नंबर महत्वपूर्ण हैं, किन्तु न उन पर आने-जानें वाली कॉल डिटेल्स पर ध्यान दिया गया न ही SMS डाटा पर । केवल 9370965171 की आधी-अधूरी कॉल डिटेल्स निकाली गयी हैं । मृतक अभिजीत के पैतृक आवास फैजाबाद के पते पर मृतक अभिजीत के ही नाम से आवंटित किसी मोबाइल नंबर 9389964728 से, अभिजीत के पास लगातार बात होती रही, यह नहीं पता लग पाया कि इसका यूजर कौन है --?....................... क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .................भाग -09............................मै, यह कहना चाहता हूँ कि मृतक अभिजीत के कमरे पर घटना वाली रात कुछ लोग आये, जिन्हें शायद, "वे" जानते-पहचानते भी रहे होंगे, बात-चीत यूं ही शुरू हुई होगी, बाद में परिणिति कुछ और हो गयी, "उन्हें" जिस किसी भी तरह से अनकांशस किया गया, कहीं बच न जायें, इस डर से, आनन-फानन में, रस्सी खोजकर लटकाया गया, उन लोगों नें कागज या फोटोग्राफ जैसी कोई चीज लैट्रिन में जलायी भी, लेकिन हड़बड़ी में उस पर पानी नहीं डाला, भागते समय एक को छोड़ कर, बाकी लोग मुख्य द्धार से गये , कोई एक आदमी मुख्य द्धार बंद करके, लाइटें बुझाकर, बॉलकनी के दरवाजे से नीचे उतरा, लेकिन स्विच की गड़बड़ी से बाद में लाइट जल गयी होगी ।प्रस्तुत पत्र की तारतम्यता से अलग हटकर यह भी बताना चाहता हूँ कि किन्ही संयोगवश, सीपीआर हॉस्पिटल कोल्हापुर में तैनात डॉक्टर संतोष मोरे जिनका मोबाइल नंबर 9527503532 व 8087991392 है, लगभग 5-6 जून 2013 को मेरी बात हुई, उन्होंने कहा कि -:"और कहीं चर्चा मत कीजियेगा , चूँकि डॉक्टर मोतीलाल का रिफरेंस है, इसलिये मै आपसे बात कर रहा हूँ । अभिजीत दत्त त्रिपाठी का पोस्टमॉर्टेम मैनें ही किया है, कॉज ऑफ डेथ तो हैंगिंग है लेकिन कुछ और फोरेंसिक जाँच-पड़ताल की चीजों की जानकारी मै आपको दो दिन बाद देता हूँ" .इस बात-चीत के दो-तीन दिन बाद जब डॉक्टर संतोष मोरे से वार्ता हुई तब यकायक उनके स्वर विस्मृत कर देनें वाले थे, फिर मैनें उनसे निवेदन कर दिया कि ठीक है डॉक्टर साहब, जैसा भी है आप कृपापूर्वक पुलिस को पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट हैंडओवर कर दीजिये, उन्होंने कहा कि उनसे (पुलिस वालों से) कहिये कि दो-चार दिन में वे ऑफिस से ले जायें ।यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हॉस्पिटल / डॉक्टर के द्धारा मृतक अभिजीत की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट लगभग चालीस दिनों बाद दी गयी, मै यह भी कहना चाहता हूँ कि पोस्टमॉर्टेम के चालीस दिनों बाद , तैयार करके दी जानें वाली रिपोर्ट कितनी सच होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ।मेरे द्धारा की गयी सघन छान-बीन से एक बात स्पष्ट है कि मेरे सगे/सहोदर भाई अभिजीत की मृत्यु स्वरचित आत्महत्या नहीं है बल्कि एक सोची-समझी हत्या है, यदि मृत्यु का कारण लटकना ही है तो भी वह लटकाया जाना है न कि आत्महत्या , पुलिस संवेदनशील होकर बारीकी से गहन जांच-पड़ताल करे तो सच सामनें आ सकता है ।........................ क्रमशः .......................... (अगली पोस्ट में आगे पढ़ें )
स्व अभिजीत दत्त त्रिपाठी की हत्या से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ********* गतांक से आगे .....................भाग -08 ..............मृतक अभिजीत अविवाहित थे, उनके कमरे से स्त्री सौन्दर्य प्रशाधन सम्बंधित चीजों के साथ एक जोड़ी स्त्री अंतःवस्त्र मिले, इन सबका उपयोग करनें वाली की शिनाख्त और कड़ी पूछ-ताछ हो तब कुछ ढेर सारे तथ्य उजागर हो सकते हैं । मृतक अभिजीत की एक नोटबुक से किसी महिला से हुई बात-चीत का स्पष्ट ब्यौरा मिला है, जिसमें हुये सवालों की हैंडराइटिंग अभिजीत की है, जवाब महिला की हैंडराइटिंग में है, इस बिंदु पर भी व्यापक तफ्शीश किये जानें की जरूरत है । मृतक अभिजीत के कमरे से बरामद पेनड्राइव में एक अत्यंत अश्लील/आपत्तिजनक फोटो मिली है जो संभवतः लाइव चैटिंग के दौरान क्लिक करनें से preserve हो गयी हो, उसके अतिरिक्त मृतक के मोबाइल चिप में किसी महिला से घंटों हुई बात-चीत का ब्यौरा उपलब्ध है , ये तथ्य यह प्रदर्शित करते हैं कि संभवतः अभिजीत किन्ही गहरे संबंधों में इन्वाल्व रहे हों, जो कदाचित उनकी हत्या का कारण बना हो । मृतक अभिजीत के कमरे से मिली पेनड्राइव में एक लघु फिल्म भी मिली है जो उस कमरे के बॉलकनी वाले दरवाजे के सामनें वाली बिल्डिंग के छत पर मंडराती लड़की की है, जहाँ कि मृतक अभिजीत का लटकता शव पाया गया था । मृतक अभिजीत के कमरे से रिलायंस CDMA मोबाइल नम्बर 9370965171 का बिल, जो कि 31 मार्च 2013 से 08 अप्रैल 2013 के लिये वैध है, मिला है, जिसके अनुसार तीन-चार नंबरों पर लगातार बात-चीत के प्रमाण/विवरण प्रदर्शित होते हैं, इन मोबाईल नंबर धारकों /यूजर के सघन निगरानी व विधिक परीक्षण की आवश्यकता है । ऐसा स्पष्टतया प्रतीत होता है कि इन मोबाइल नंबरों पर हुई बात-चीत से मृतक अभिजीत की हत्या होनें का गहरा सम्बन्ध है ।मृतक अभिजीत पोस्टपेड इंटरनेट कनेक्सन के यूजर थे। घटना वाली रातके 10:34 तक वे अपनें मित्र रोहित यादव आदि से चैटिंग करते रहे, बाद में 10:58 पर इंटरनेट ऑफ कर दिया गया, फिर कुछ साफ नहीं कि